हिमाचल में शिक्षकों के तबादलों में पिक एंड चूज प्रक्रिया को लेकर अब आवाज उठने लगी है। हिमाचल में शिक्षकों के मजबूत संघ राज्य अध्यापक संघ ने यह आवाज उठाई है। राजकीय अध्यापक संघ के अध्यक्ष विरेंद्र चौहान का कहना है कि तबादलों में पिक एंड चूस की प्रक्रिया कतई भी सही नहीं है। जानकारी के मुताबिक अभी हाल ही में समग्र शिक्षा अभियान में शिक्षकों के तबादले हुए थे। इसमें कुछ शिक्षक ऐसे थे जिन्हें काफी वर्ष समग्र शिक्षा में ही सेवाएं देते हो गए थे लिहाजा प्रदेश सरकार ने इनमें कुछ शिक्षकों के तबादले कर दिए थे। लेकिन 2 दिन के भीतर ही इनमे कुछ एक के तबादले रद्द कर दिए गए।
अब सवाल यह उठना लगा है कि तबादलों को चुनिंदा शिक्षकों के लिए ही रद्द क्यों किया गया यदि किया जाना था तो सभी शिक्षकों के तबादले रद्द किए जाने चाहिए या फिर सभी शिक्षकों के तबादले के आदेश जारी रखने चाहिए थे। ऐसा कई बार देखने में आता है।
राजकीय अध्यापक संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान का कहना है कि पहले भी यह मामला संघ ने पूर्व प्रदेश सरकार के समक्ष उठाया था लेकिन इस पर कोई भी कार्रवाई नहीं हो पाई थी। अब कांग्रेस सरकार के समक्ष फिर से यह मामला उठाया गया था लिहाजा तबादले हुए लेकिन इसमें भी पिक एंड चूस की प्रक्रिया को अपनाया गया। ऐसा नहीं होना चाहिए और नियम के तहत शिक्षकों के तबादले किए जाने चाहिए। अभी भी कई शिक्षक ऐसे हैं जिनके नियम के तहत तबादले नहीं हो पाए हैं।
अध्यक्ष ने साफ किया है कि जिन शिक्षकों की राजनीति में मजबूत जगह है ,उनके तबादले करने मुश्किल हो जाते हैं। और वह काफी समय तक अपना मनचाहा स्टेशन लिए रखते हैं । शिक्षा जगत में ऐसा नहीं होना चाहिए खासतौर पर शिक्षक की जिम्मेदारी बच्चों को पढ़ाने की होती है ना की किसी कार्यालय में रहने की।
गौर हो कि इसे लेकर प्रदेश सरकार भी साफ कर चुकी हैं कि जो शिक्षक प्रदेश से बाहर गए हैं उन्हें भी वापस बुलाया जाएगा। वहीं दूसरी ओर राज्य में शिक्षकों के पहले तबादले कर दिए जाते हैं। उसके बाद इन तबादलों में से कुछ शिक्षकों के तबादलों को रद्द कर दिया जाते हैं।



