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हिम गंगा योजना: दूध आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ते कदम

प्रथम चरण के लिए हिमाचल प्रदेश दुग्ध प्रसंघ को 20 करोड़ रुपये की अनुदान राशि स्वीकृत

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हिमाचल प्रदेश मुख्य रूप से एक कृषि प्रधान राज्य है। कृषि और संबद्ध गतिविधियां प्रदेश की कुल आबादी के लगभग 70 प्रतिशत को प्रत्यक्ष तौर पर रोजगार उपलब्ध करवाती हैं। सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र का योगदान लगभग 13.62 प्रतिशत है। पशुपालन भी कृषि संबंधी गतिविधियों का अभिन्न अंग है।

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ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन और डेयरी गतिविधियां प्रमुखता से की जाती रही हैं। प्रदेश में पारम्परिक पद्धति के साथ-साथ नई पहल से पशुपालन के फलस्वरूप हिमाचल में संपन्न पशुधन है। 19वीं पशुधन जनगणना के अनुसार, हिमाचल में पशुधन की कुल संख्या 48,44,431 है। इनमें 21,49,259 गाय, 7,16,016 भैंस शामिल हैं। इसके अलावा भेड़, बकरी, घोड़े और मुर्गियां इत्यादि अन्य पशुधन भी ग्रामीण आर्थिकी को संबल प्रदान करते हैं।

राज्य में दूध आधारित अर्थव्यवस्था विकसित करने के लिए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में वर्तमान सरकार ने एक नई योजना हिम-गंगा की घोषणा की है। इस योजना के तहत पशुपालकों को लागत आधारित दूध का सही मूल्य प्रदान किया जाएगा और दूध की खरीद, प्रसंस्करण और विपणन की व्यवस्था में गुणात्मक सुधार लाया जाएगा।

राज्य सरकार द्वारा अपने पहले बजट में हिम-गंगा योजना के लिए 500 करोड़ रुपये व्यय प्रस्तावित है। इस योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए सरकार द्वारा योजना के प्रथम चरण (वर्ष 2023-24) के लिए हिमाचल प्रदेश दुग्ध प्रसंघ को 20 करोड़ रुपये की अनुदान राशि स्वीकृत की गई है। यह योजना दुग्ध उत्पादकों को उनके उत्पाद का बेहतर मूल्य प्रदान करने की परिकल्पना को साकार करने में अहम भूमिका निभाएगी। साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए महिलाओं से जुड़ी दुग्ध उत्पादक सहकारी सभाओं की पहचान कर उन्हें भी संगठित किया जाएगा।

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इस योजना के प्रथम चरण के अंतर्गत जिला कांगड़ा और हमीरपुर के पशुपालकों को लाभान्वित किया जाएगा। इसके उपरान्त चरणबद्ध ढंग से इस योजना को अन्य जिलों में विस्तारित किया जाएगा। योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए छह सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। इस समिति द्वारा जिला कांगड़ा में 150 और जिला हमीरपुर में 50 दुग्ध आधारित समितियां गठित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। पिछले छह माह के दौरान लगभग 48 नई दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियां गठित की गई हैं।

हिमाचल में दुग्ध उत्पादन क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करने और दुग्ध संबंधी अधोसंरचना के सुदृढ़ीकरण के लिए जिला कांगड़ा के डगवार में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के सहयोग से लगभग 250 करोड़ रुपये की लागत से एक अत्याधुनिक दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित किया जाएगा। इसके संचालन से लेकर विपणन संबंधी गतिविधियां एनडीडीबी की सहायता से की जाएंगी। एनडीडीबी संयंत्र के संचालन और दुग्ध उत्पादों के विपणन के लिए अपने खर्च पर दो सलाहकार भी उपलब्ध करवाएगा। लगभग तीन लाख लीटर प्रतिदिन की क्षमता वाले पूर्ण स्वचालित डगवार दुग्ध संयंत्र में उच्च गुणवत्तायुक्त दुग्ध उत्पाद भी तैयार किए जाएंगे। इस संयंत्र के स्थापित होने से जिला कांगड़ा, हमीरपुर, ऊना और चम्बा जिलों के दुग्ध उत्पादक लाभान्वित होंगे।

इसके अतिरिक्त एनडीडीबी से 10 मीट्रिक टन प्रतिदिन क्षमता के पाऊडर संयंत्र स्थापित करने के साथ ही 11 संयंत्रों के उन्नयन के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने का आग्रह किया गया है।

ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि कांग्रेस पार्टी द्वारा अपने प्रतिज्ञा पत्र में किसानों से गाय का दूध 80 रुपये प्रति लीटर और भैंस का दूध 100 रुपये प्रति लीटर खरीदने के लिए किए गए वायदे को पूरा करने के लिए प्रदेश सरकार संकल्पित है। हिमगंगा योजना के शुभारंभ से प्रदेश सरकार इस वायदे को पूरा करने की ओर अग्रसर है।

Deepika Sharma

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