बैठक: अन्य विभागों से स्वास्थ्य विभाग में नियुक्तियां शीघ्र रद्द की जाय
एमओ संघ ने सरकार को सौंपा मांगों का पिटारा
प्रदेश चिकित्सक अधिकारी संघ की प्रमुख कार्यकारिणी समिति की बैठक डॉ राजेश राणा की अध्यक्षता में 3 मई सायंकाल को ऑनलाइन माध्यम से आयोजित की गई। इस बैठक में वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ अनुपम बधन, वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉक्टर सौरभ शर्मा, उपाध्यक्ष डॉ अनंत विजय राघव, उपाध्यक्ष डॉक्टर करण सिंह, उपाध्यक्ष डॉ मोनिका पठानिया अत्री, महासचिव डॉ विकास ठाकुर, सयुक्त सचिव डॉ जितेंद्र रुड़की, संयुक्त सचिव डॉ सुशील चौहान, संयुक्त सचिव डॉक्टर मोहित डोगरा, संयुक्त सचिव डॉक्टर यासमीन, कोषाध्यक्ष डॉ प्रवीण चौहान, प्रेस सचिव डॉ विजय राय, कुल्लू इकाई के अध्यक्ष डॉक्टर कल्याण ठाकुर, बिलासपुर इकाई के महासचिव डॉ प्रदीप, कांगड़ा इकाई के महासचिव डॉ उदय सिंह, सोलन इकाई के महासचिव डॉ उदित, शिमला इकाई के अध्यक्ष डॉक्टर दीपक कैंथला, शिमला इकाई के महासचिव डॉ योगराज, किन्नौर इकाई से डॉ अनुभव, ऊना इकाई के अध्यक्ष डॉ राहुल कतना, कांगड़ा से डॉक्टर अंकुश, हमीरपुर से डॉक्टर सुरेंद्र और सिरमौर से डॉक्टर अजय देओल आदि सदस्यों ने भाग लिया।
संघ ने मेडिकल कॉलेज में नियुक्त वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक की शक्तियां छीन लेने पर रोष प्रकट किया । एक चिकित्सक को वरिष्ठ अधीक्षक नियुक्त होने के लिए 25 से 30 वर्ष का कार्यकाल लगता है लेकिन यदि वह अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को छुट्टी भी ना दे पाए जो उस प्रमोशन का क्या औचित्य रह जाता है।
स्वास्थ्य विभाग कई वर्षों से चिकित्सकों की सीनियारिटी लिस्ट बनाने में असमर्थ रहा है। वहीं दूसरी ओर सीनियोरिटी लिस्ट न बनने पर कई खंड चिकित्सा अधिकारियों,ज्वाइंट डायरेक्टरों, डिप्टी डायरेक्टरों और डायरेक्टर ऑफ हेल्थ सर्विसेज की रेगुलर नियुक्तियां नहीं हो पाई हैं। एक चिकित्सक 25 से 30 साल कार्य करने के बाद खंड चिकित्सा अधिकारी बनता है और हमारे खंड चिकित्सा अधिकारियों के पद 100 से भी कम है। इस संदर्भ में चिकित्सकों का एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन स्कीम के तहत दिए जाने वाला 4-9-14 का मानदेय भी छीन लिया गया है।
प्रदेशभर में अनुबंध पर नियुक्त कर्मचारियों और अधिकारियों को 150% मानदेय प्रदान किया गया। वही प्रदेश भर में कुछ चिकित्सकों को यह देय प्रदान नहीं किया गया। यह देय राशि मंडी,कांगड़ा उन्ना, सिरमौर जिला के कुछ चिकित्सकों को नहीं दी गई। एक ही साथ नियुक्त चिकित्सकों को अलग-अलग वेतन देना एक विडंबना का विषय है। इस त्रुटि से संघ ने पहले भी स्वास्थ्य सचिव एवं मुख्य स्वास्थ्य सचिव को अवगत कराया था। अभी तक लेकिन अभी तक इस संदर्भ में कोई ठोस निर्णय सामने नहीं आया है। संघ का अनुरोध है कि इस त्रुटि का शीघ्र निवारण किया जाए।
संघ ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में अन्य विभागों से नियुक्तियां किया जाने पर रोष प्रकट किया। इन लोगों को मेडिकल के संबंधित प्रयाप्त जानकारी नहीं होती है जिसका खामियाजा जनता को झेलना पड़ता है। सरकार को समयबद्ध तरीके से प्रमोशन करे और डीपीसी के तहत रिक्त चल रहे पदों को भरे तो फील्ड में कार्य कर रहे चिकित्सकों का भार कम होगा और वह अपनी सेवाएं जनता को उपलब्ध करवाने में अधिक कारगर सिद्ध होंगे। जिन चिकित्सा अधिकारियों ने विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण की है और ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर या डीडीओ रह चुके हों,उन्हें मेडिकल कॉलेजों में जॉइंट डायरेक्टर के पद पर नियुक्त किया जाना न्याय संगत होगा। ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर और उससे ऊपर के पद अधिकारी जिन्होंने फाइनेंशियल एडमिनिस्ट्रेशन की परीक्षा उत्तीर्ण की हुई होती है साथ ही 25 साल का एक अनुभव भी होता है वो इन पदों पर कार्य करने में सुयोग्य एवं अधिक कारगर सिद्ध होंगे।
प्रदेश भर में प्रतिवर्ष 800 से अधिक चकित्सक बन रहे हैं तो अन्य विभागों से स्वास्थ्य विभाग में नियुक्तियां शीघ्र रद्द की जानी चाहिए। स्वास्थ ववस्था को यदि और अधिक सुदृढ़ बनाना हो तो स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में चिकित्सक ही नियुक्त हों तो यह सबसे बेहतर होगा। इस कड़ी में ऐड्स कंट्रोल सोसायटी में एडिशनल डायरेक्टर को प्रोजेक्ट डायरेक्टर का कार्यभार सौंपना और स्वास्थ्य निर्देशक को को भार मुक्त करना भी संघ को मंजूर नहीं है।समय-समय पर डीपीसी न कर पाने के कारण ऊपर के पद खाली रहते हैं और कार्य भार फील्ड में कार्य कर रहे चिकित्सकों पर बढ़ता है ।
संघ का हिमाचल जैसे छोटे राज्य में भी न्यू हेल्थ कॉरपोरेशन सोसाइटी की नियुक्ति करना एक्स सराहनीय कदम है लेकिन इस समिति में कोई भी चिकित्सक नहीं रखा गया है यह भी विडंबना का विषय है। देश भर में अन्य राज्यों में इन समितियों में चकित्सकों को रखा गया है लेकिन हिमाचल में चिकित्सकों को इस समिति में नहीं रखना चिकित्सकों के लिए निराशजनक है । सरकार से अनुरोध है की खरीदने के लिय पोस्ट का प्रावधान करने के साथ साथ फार्मेसी ऑफीसर्ज की भी पोस्ट्स बढ़ाए ताकि रात्रि सेवा देते समय या छुट्टी वाले दिन भी दवाइयां जनता को आसानी से उपलब्ध हो। फार्मेसी ऑफीसर्ज 24 घण्टे तभी उपलब्ध होंगे जब उन स्वास्थ्य संस्थानों में फार्मेसी ऑफीसर्ज के पद प्रयाप्त संख्या में रखे जाएंगे।
प्रदेश के सभी चिकित्सक अपना कार्यभार संभालने और अपने क्षेत्र में जनता को बेहतरीन सुविधाएं प्राप्त करने के लिए बहुत सक्षम होने के साथ दिन रात लोगों की सेवा में समर्पित हैं।उन्हें अपने क्षेत्र में अपनी सेवाएं सुचारू रूप से प्रदान करने का मौका दिया जाए। इन सब मांगों को लेकर हिमाचल चिकित्सक अधिकारी संघ शीघ्र स्वास्थ्य मंत्री से भी मिलेगा।



