संस्कृति

नहीं रहे वरिष्ठ कवि आलोचक श्रीनिवास श्रीकांत

हिमालय साहित्य एवम संस्कृति मंच की विनम्र श्रद्धांजलि

No Slide Found In Slider.

 

 

 

वरिष्ठ कवि आलोचक श्रीनिवास श्रीकांत  के दुखद निधन पर हिमालय साहित्य एवम संस्कृति मंच ने गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि और गहरा शोक व्यक्त करते हुए मंच के अध्यक्ष एस.आर. हरनोट ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि उन्हें पिछले तीन दिनों से सांस लेने में कठिनाई हो रही थी। वे ऑक्सीजन पर थे और आज सुबह साढ़े 11 बजे चक्कर स्थित अपने निवास स्थान पर उन्होंने अंतिम सांस ली। उस समय उनका सारा परिवार साथ था। उनके दो बेटे अनय और विनय भी साथ थे जो चंडीगढ़ और दिल्ली में रहते हैं। उनकी अर्धांगिनी निर्मल शर्मा और अन्य परिजन भी इस अंतिम समय में उनके साथ थे।

No Slide Found In Slider.

 

हरनोट ने बताया कि श्रीनिवास जी पिछले एक साल से चलने फिरने और बोलने में थोड़ा असमर्थ हो गए थे। उनकी उनसे जब भी बात होती तो उनकी धर्मपत्नी निर्मल शर्मा के द्वारा जी हो पाती थी। श्रीनिवास जी केवल कुछ ही शब्द बोल पाते जिसमें अपने अधूरे छूटे हुए लेखन के बारे में चिंता जाहिर करते और कवि मित्र कुल राजीव पंत और आत्मा रंजन के बारे में पूछते, उन्हें याद करते ।

 

हिमाचल व हिंदी साहित्य के लिए यह बड़ी क्षति है। हमने एक गहरा चिंतक, गंभीर कवि आलोचक और अति विनम्र इंसान खो दिया है। उन्होंने हिमाचल ही नहीं देश के बहुत से युवा और वरिष्ठ साहित्यकारों पर लंबे आलेख लिखे। हिमाचल के लेखकों की अनगिनत किताबों के फ्लैप और भूमिकाएं उन्होंने लिखी।

No Slide Found In Slider.

हिमाचल अकादमी का शिखर सम्मान उन्हें मिला परंतु उनके जीते जी उनका मोनोग्राफ नहीं छप पाया जिसे अकादमी ने कई वर्ष पूर्व किसी लेखक को लिखने के लिए दिया था। हिमालय साहित्य मंच ने उन्हें साहित्य के लिए आजीवन उपलब्धि सम्मान भी प्रदान किया था। वे गजल और नाटक विधा के भी गहरे जानकर थे। साथ संगीत के भी।

 

लंदन से प्रख्यात कथाकार और कथा यूके के संचालक तेजेंद्र शर्मा ने उनके निधन पर फोन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने श्रीनिवास को एक गंभीर लेखक व नेक दिल इंसान बताया। तेजेंद्र जी ने कहा कि प्रवासी साहित्य पर उनकी बड़ी समझ थी।

 

उनकी आलोचना पुस्तकों में “कथा त्रिकोण” और “मुक्तिबोध एक पुनर्मूल्यांकन” महत्वपूर्ण कृतियां हैं। उनके आठ कविता संग्रह प्रकाशित हैं। एक गीत गजल संग्रह भी छपा है। उन्होंने “कथा में पहाड़” जैसी महत्वपूर्ण पुस्तक का संपादन भी किया जिसमें पहाड़ के 39 लेखकों की कहानियां अपनी टिप्पणियों के साथ इसमें शामिल की जिसकी खूब चर्चा हुई। शायद ही देश की कोई ऐसी साहित्य की लघु पत्रिका रही हो जिसमें उनकी कविताएं, गजलें, गीतकार आलोचना आलेख न छपे हों। वे आकाशवाणी शिमला और दूरदर्शन के कैजुअल कंट्रीब्यूटर भी थे।

हिमाचल के हिंदी साहित्य के लिए यह अपूरणीय क्षति है। 83 वर्षीय श्रीनिवास श्रीकांत ने अपना पूरा जीवन हिंदी और यूरोपियन साहित्य के अध्ययन के साथ कविता और आलोचना के लिए समर्पित कर दिया।

Deepika Sharma

Related Articles

Back to top button
Close