कैसे जलेगी शिक्षा की ज्योति, देशभर में शिक्षकों के खाली पड़े पद

ऑल इण्डिया फेडरेशन ऑफ़ टीचर ओरगेनाइजेश ने देशभर में शिक्षकों के खाली पड़े पदों को भरने की कि माँग
ऑल इण्डिया फेडरेशन ऑफ़ टीचर ओरगेनाइजेश ने देशभर में शिक्षकों के खाली पड़े पदों को भरने की कि माँग की हैं आज जारी एक सयुंक्त प्रेस ब्यान में फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अश्वनी कुमार, सेक्ट्री जनरल सी.एल.रोज पैटर्न श्री रमेश जोशी श्री डी .वी.पंडित ,राष्ट्रिय प्रेस सचिव प्रेम शर्मा, राष्ट्रिय कार्यकारी अध्यक्ष रमेश भाई पटेल मीडिया सचिव रजनीश राणा, सचिव डॉ निशा शर्मा , गुजरात वरिष्ठ उपा अध्यक्ष श्रीमती रश्मि सिंह दिल्ली, श्रीमती शिल्पा नायक चेयरपर्सन महिला विंग ,उप सचिव सोनल के पटेल गुजरात , सलाउदीन उपाअध्यक्ष केरल, किशोर महापात्रा सलाहकार उड़ीसा, एम .जी .रेडी सचिव तेलांगना, एल. के. चिनप्पा वरिष्ठ उपा अध्यक्ष आँध्रप्रदेश सोहन मजिला सगठन सचिव उत्तराखंड, उपा अध्यक्ष सालिगराम प्रजापति उत्तर प्रदेश डी.वि.खत्री मध्यप्रदेश ,वरिष्ठ उपा अध्यक्ष श्री कांत वनायकर महाराष्ट्रा राजीव मालिक हरियाणा ,हाकम सिंह पंजाब, रणजीत सिंह राजपूत राज्य स्थान आदि ने बताया कि पूरे देश में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के 10 लाख पद खाली पड़े है हजारों प्राथमिक विद्यालय ऐसे है जो एक एक शिक्षक के सहारे ही चल रहें है उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों लोकसभा में सांसद धर्मवीर सिंह ने शिक्षा मंत्री निशंक से अतारांकित सवाल पूछा था कि संपूर्ण देश में शिक्षकों के कितने पद खाली हैं इस प्रशन के उत्तर में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने लोकसभा में जानकारी दी कि साल 2020-21 तक पूरे देश में शिक्षकों के 61 लाख 84 हजार 464 पद स्वीकृत हैं, जबकि अलग-अलग राज्यों में कुल 10 लाख 60 हजार 139 पद रिक्त हैं. इसमें बिहार और यूपी अव्वल हैं.
शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षकों की भर्ती एक सतत प्रक्रिया है और सेवानिवृत्ति और एवं छात्रों की संख्या बढ़ने के कारण उत्पन्न हुई अतिरिक्त जरूरतों के चलते पद रिक्त होते रहते हैं. शिक्षा संविधान की समवर्ती सूची में है. शिक्षकों की भर्ती, सेवा शर्तें और तैनाती संबंधित राज्यों/संघ राज्य क्षेत्र सरकारों के दायरे में आती हैं. हालांकि शिक्षा मंत्रालय सलाह या समीक्षा बैठकों के माध्यम से सभी राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों की सरकारों से शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने और उनकी तैनाती के लिए अनुरोध करता रहता है.
अपने लिखित जवाब में शिक्षा मंत्री ने राज्यवार रिक्तियों के आंकड़े दिए हैं जिसमें बिहार और यूपी शीर्ष पर हैं. बिहार में फिलहाल 275,255 पद और यूपी में 217,481 पद खाली हैं. जबकि बिहार में स्वीकृत पदों की संख्या 688,157 है और यूपी में शिक्षकों के स्वीकृत पद का आंकड़ा 752,839 है. और भी कई राज्य हैं जहां शिक्षकों की भारी कमी है. इनमें आंध्रप्रदेश (34888), झारखंड (95897), कर्नाटक (32644), मध्य प्रदेश (91972), राजस्थान (47666) और पश्चिम बंगाल (72220) के नाम प्रमुख हैं. फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अश्वनी कुमार ने बताया कि शिक्षक का दर्जा समाज में हमेशा से ही पूजनीय रहा है। कोई उसे गुरु कहता है, कोई शिक्षक कहता है, कोई आचार्य कहता है, तो कोई अध्यापक या टीचर कहता है ये सभी शब्द एक ऐसे व्यक्ति को चित्रित करते हैं, जो सभी को ज्ञान देता है, सिखाता है और जिसका योगदान किसी भी देश या राष्ट्र के भविष्य का निर्माण करना है। सही मायनो में कहा जाये तो एक शिक्षक ही अपने विद्यार्थी का जीवन गढ़ता है। शिक्षक ही समाज की आधारशिला है। एक शिक्षक अपने जीवन के अन्त तक मार्गदर्शक की भूमिका अदा करता है और समाज को राह दिखाता रहता है, तभी शिक्षक को समाज में उच्च दर्जा दिया जाता है। किसी भी राष्ट्र का आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक विकास उस देश की शिक्षा पर निर्भर करता है। अगर राष्ट्र की शिक्षा नीति अच्छी है तो उस देश को आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता अगर राष्ट्र की शिक्षा नीति अच्छी नहीं होगी तो वहाँ की प्रतिभा दब कर रह जायेगी बेशक किसी भी राष्ट्र की शिक्षा नीति बेकार हो, लेकिन एक शिक्षक बेकार शिक्षा नीति को भी अच्छी शिक्षा नीति में तब्दील कर देता है। परन्तु अगर विधयालय में शिक्षक ही नहीं होंगे और शिक्षकों की कमी तो विद्यार्थियों के भविष्य और राष्ट्र का भविष्य राष्ट्र का विकास रुक जायेगा फेडरेशन ने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व् सभी राज्य सरकारों से देश भर में रिक्त पड़े शिक्षकों के पदों को शीघ्र भरने की माँग की हैं


