शिक्षा

दृष्टिबाधित एवं लिखने में असमर्थ विद्यार्थियों को सरकार की बड़ी राहत

 

दृष्टिबाधित एवं हाथ से लिखने में असमर्थ दिव्यांग विद्यार्थियों को हिमाचल प्रदेश सरकार ने बड़ी राहत दी है। सभी प्रकार की परीक्षाओं में यदि विभाग उन्हें राइटर उपलब्ध नहीं कराता है तो वह किसी भी शैक्षणिक योग्यता वाले राइटर को अपने साथ परीक्षा में लिखने के लिए ले जा सकते हैं। 

 

सरकार ने यह कदम हिमाचल प्रदेश राज्य विकलांगता सलाहकार बोर्ड के विशेषज्ञ सदस्य और उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव द्वारा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के समक्ष रखी गई मांग पर उठाया है। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री के अलावा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजय गुप्ता द्वारा तुरंत की गई कार्रवाई के लिए उनका आभार जताया। 

 

प्रो. अजय श्रीवास्तव बताया कि कोरोना के कारण पहले ही तनाव में चल रहे दृष्टिबाधित विद्यार्थियों एवं नौकरी के उम्मीदवारों की चिंता उस समय बढ़ गई थी जब सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर केंद्र सरकार और यूजीसी के दिशानिर्देशों का संज्ञान लिए बिना गलत गाइडलाइंस जारी कर दी। अब विभाग ने अपनी गलती को सुधार लिया है।

WhatsApp Image 2025-08-08 at 2.49.37 PM

 

प्रो. अजय श्रीवास्तव के अनुसार दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग और यूजीसी को आदेश दिया था कि कि जब तक परीक्षा आयोजित करने वाली एजेंसी दृष्टिबाधित एवं लिखने में असमर्थ उम्मीदवारों के लिए राइटर का पैनल न तैयार कर ले तब तक उन्हें ‘एक कक्षा जूनियर’ वाला राइटर लाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। ऐसे में उन्हें फरवरी 2015 वाली गाइडलाइंस के तहत परीक्षा देने की अनुमति होगी। 

 

इसके बाद यूजीसी समेत सभी केंद्रीय विभागों ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के अनुपालन में नए दिशानिर्देश जारी किए थे। अब यह स्पष्ट हो गया है कि शिक्षण संस्थानों में प्रवेश और सभी प्रकार की नौकरियों के लिए आयोजित होने वाली लिखित परीक्षाओं में यदि संबंधित विभाग राइटर उपलब्ध नहीं करा पाता है तो दृष्टिबाधित उम्मीदवार अपने से अधिक योग्यता वाले राइटर को भी परीक्षा में लिखने के लिए ले जा सकता है। 

 

श्रीवास्तव का कहना है कि कोर्ट के आदेश के मुताबिक यह विभागों का दायित्व है कि वे दृष्टिबाधित एवं लिखने में असमर्थ विद्यार्थियों को राइटर उपलब्ध कराएं। ‘एक क्लास जूनियर राइटर’ ढूंढकर परीक्षा देना विद्यार्थियों के लिए बहुत मुश्किल कार्य है। कोर्ट ने ये भी कहा था कि यह सुनिश्चित करना ड्यूटी पर उपस्थित शिक्षक का दायित्व है कि राइटर वही लिखे जो दिव्यांग विद्यार्थी ने बोला। ##

Deepika Sharma

Related Articles

Back to top button
Close