EXCLUSIVE: कहीं आपके लाडले या लाडली को ये बीमारी तो नहीं .?
आईजीएमसी -टीएमसी की रिपोर्ट से खुलासा ,नींद और चिड़चिड़ेपन की शिकायत लेकर पहुंचे प्रभावितों की केस स्टडी में आया सच सामने
*प्रदेश के बचपन को ‘मोबाइल’ की बीमारी*
हाईटेक शहरों की तर्ज पर अब हिमाचल का बचपन भी मोबाइल गेम्स की लत की चपेट में आ गया है। प्रदेश के दोनों बड़े मेडिकल कॉलेज आईजीएमसी और टीएमसी की मनोविज्ञान,मेडिसिन और न्यूरोसर्जरी की ओपीडी के आंकड़ों ने ये चौकाने वाला खुलासा किया है । इसमें हर वर्ष 200 ऐसे मामले सामने आ रहे हैं ,जो गेम्स एडिक्शन की गिरफ्त में हैं। इसमें चार से पांच वर्ष के बच्चे भी शामिल हैं । सबसे पहले मेडिसिन ओपीडी में बच्चों को इलाज के लिए लाया जा रहा है ,जिसमें अभिभावकों की ये शिकायत है कि उनके बच्चे को नींद बहुत ही कम आ रही है, वहीं बच्चा चिड़चिड़ा भी हो गया है । अभिभावकों ने ये भी कहा है कि उनका बच्चा भोजन भी कम ही खा रहा है ।मनोविभाग में आने वाले सबसे कम तीन वर्ष और सबसे ज्यादा 20 वर्ष तक की उम्र देखी जा रही है । हालांकि इनके केस को साईकोलॉजिस्ट के हवाले किया जा रहा है ,जिसमें बच्चों को मोबाइल नहीं देने की खास हिदायतें जारी की जा रही हैं ।ये आंकड़े भी सामने आ रहे हैं कि शहर के बच्चे ही नहीं, बल्कि गावों से भी ऐसे केस सामने आ रहे हैं ।
बॉक्स
*युवाओं की हालत तो ओर भी बदतर*
आंकड़ों पर गौर करें तो युवाओं को भी मोबाइल एडिक्शन की गिरफ्त में देखा जा रहा है । दोनों मेडिकल कॉलेज में हर वर्ष 120 ऐसे मरीज़ आ रहे हैं ,जिनकी उम्र 20 से 30 वर्ष की है ।डॉक्टरों का कहना है कि आजकल कई पैसे कमाने की गेम काफी प्रचलित हो रही है । इसमें देर रात तक क्लीयर नेट लाइन से जुड़ने के लिए युवा यह खेल घंटों खेल रहे हैं और उनकी नींद पूरी नहीं हो पा रही है ।इसका उनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है ।
शिमला ,कांगड़ा, सोलन, बिलासपुर,ऊना से ऐसे मामले आईजीएमसी और टीएमसी में सबसे ज्यादा देखने में आ रहे हैं ।कहा जा रहा है कि यदि समय रहते अभिभावक गंभीर न हुए तो यह प्रदेश के स्वास्थ्य को लेकर एक बड़ा खतरा हो सकता है ।
बॉक्स

” प्रदेश में कम उम्र के बच्चे मोबाइल एडिक्ट हो रहे हैं । यह उनके स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है। अस्पताल आने वाले अभिभावकों को ये हिदायतें दी जा रही हैं कि वे बच्चों को मोबाइल फोन न दें । हर वर्ष बच्चों की केस स्टडी में उनके मोबाइल एडिक्शन होने की शिकायतें सामने आ रही हैं ।”
*डा. प्रवीण भाटिया*
डिप्टी एमएस,आईजीएमसी

