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EXCLUSIVE: कारनामा : बिना पानी का प्रबंध किए, उखाड़ लिया ट्यूब बेल, अब अधर में लटका है लाखों का काम

सोलन का कनोह गांव प्यासा, जानवरों को भी बेचने को मजबूर हुए ग्रामीण, गंभर नदी से भी नहीं आया पानी

 

प्रशासन की आखिरी ये ऐसी व्यवस्था है जिसमें पानी का प्रबंध किए बगैर ही कनोंह गांव का एकमात्र ट्यूबेल उखाड़ लिया गया। यह मामला सोलन के  तहसीलअर्की  के पारनू कनोह गांव का है जहां पर पानी की बेहद ही किल्लत सामने आ रही है। उक्त गांव की स्थिति बदतर इसलिए हो रही है क्योंकि यहां पहले ही पानी की बहुत ही कमी ग्रामीण वासियों को झेलनी पड़ती है अब साथ ही गांव में लगा ट्यूबवेल जिसे टैंक के माध्यम से जोड़ने को लेकर व्यवस्था किए जाने की तैयारी की जानी थी लेकिन यह प्रोजेक्ट भी अधर में लटका दिखाई दे रहा है। देखा जा रहा है कि एक बार बोरिंग करने के बाद अब काम जस का तस पड़ा है।

 

इस केस में इतनी सुस्ती देखी जा रही है कि अब संबंधित गांव वालों को पानी की कमी की परेशानी से हर दिन जूझना पड़ रहा है।

यह प्रोजेक्ट अधर में ही लटक गया और अब यहां पानी की एक-एक बूंद के लिए ग्रामीण वासी तरसने लग पड़े हैं। सवाल तो यह उठ रहे हैं कि आखिर यह कैसी बोरिंग की गई जिसमें ट्यूबवेल के माध्यम से टैंक को जोड़ने की व्यवस्था बीच में ही लटक गई।

 

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अपने जानवरों को बेचने को मजबूर हुए ग्रामीण वासी

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दिक्कत यही नहीं बल्कि गांव वालों को अपने जानवरों को भी इसलिए बेचना पड़ रहा है क्योंकि यहां पर जानवरों को पिलाने के लिए भी पानी की व्यवस्था प्रशासन के द्वारा नहीं हो पा रही है। इसका इलाज आईपीएच नहीं ढूंढ रहा है और ना ही इसे लेकर संबंधित प्रशासन को सतर्कता दिखाए हुए दिखता हैं।

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गंभर नदी से पानी आने की व्यवस्था भी फे

गौर हो कि यहां पर गंभर नदी से पानी लाने की व्यवस्था की जा रही थी लेकिन हैरत है कि इससे पहले यहां पर गमभर से मई माह में पानी आया था अभी तक इसकी व्यवस्था नहीं के बराबर की जा रही है। प्रशासन सिर्फ यह दलील देता है की टेस्टिंग की जा रही है और जल्द ही पानी आएगा लेकिन गंभर नदी से भी उक्त गांव वालों को पानी नसीब नहीं हो पा रहा है।

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जीना तो दूर मरने को पानी नहीं

उक्त गांव की कहानी यहीं तक सीमित नहीं बल्कि यहां पर अभी बीते सप्ताह एक बुजुर्ग महिला के मरने के बाद उसके अंतिम संस्कार की प्रक्रिया के लिए पानी चाहिए था लेकिन वह भी नहीं मिल पाया और जिसके लिए लोगों को कठिनाई का सामना करना पड़ा। कनोह गांव में खेतों में उगाने का काम भी बीच में ही लटक गया है क्योंकि पानी की व्यवस्था गांव में नहीं हो पा रही है।

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पहले अंबुजा से मिलती थी राहत

जानकारी के मुताबिक पहले उक्त गांव में अंबुजा से पानी के टैंकर की व्यवस्था की जाती थी लेकिन अब  फैक्ट्री भी बंद है जिससे नजदीक लगे इस गांव का हर व्यक्ति पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहा है।

 

Deepika Sharma

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