संस्कृति

गेयटी में इस वर्ष के निर्धारित 11 कार्यक्रम हुए पूर्ण

हिमालय साहित्य संस्कृति एवं पर्यावरण मंच शिमला का गेयटी सभागार में राज्यस्तरीय आयोज

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हिमालय साहित्य संस्कृति एवं पर्यावरण मंच शिमला का गेयटी सभागार में राज्यस्तरीय आयोजन।

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गेयटी में इस वर्ष के निर्धारित 11 कार्यक्रम हुए पूर्ण। 25 दिसम्बर, 2022 को गेयटी गोथिक हाल में प्रख्यात लोक गायक डॉ. कृष्ण लाल सहगल के लिखे, संगीतबद्ध किए और गाए लोक गीतों का होगा भव्य आयोजन। प्रदेश भर से उनके 20 लोक गायक शिष्य लेंगे भाग।

 

 

चार पुस्तकों का लोकार्पण और कविता संवादः 80 रचनाकारों में 27 रचनाकार प्रदेश के विभिन्न भागों से उपस्थित।

 

कविता अपने समय की सबसे सुन्दर क्रिस्टेलाइज्ड फॉर्म है: यह समय सृजन का कम और विध्वंस का ज्यादा है–प्रो0 कुमार कृष्ण।

हिमालय साहित्य संस्कृति एवं पर्यावरण मंच शिमला अपने अनूठे साहित्यिक कार्यक्रमों के लिए चर्चित रहा है। इसी कड़ी में 10 दिसम्बर, 2022 को गेयटी के विशाल एमपी हॉल में इस वर्ष का 11वां साहित्यिक आयोजन सम्पन्न हुआ जिसमें चार पुस्तकों के लोकार्पण के साथ ‘आज का समय और कविता‘ पर बहुत ही सार्थक वक्तव्य प्रख्यात कवि आलोचक प्रो0 कुमार कृष्ण द्वारा दिया गया। उनका वक्तव्य और कविता पाठ मंत्रमुग्ध कर देने वाला था। अपने एक घण्टे के वक्तव्य में उन्होंने कहा कि ‘आज का समय और कविता‘ पर वक्तव्य देते हुए उन्होंने कहा कि ‘‘आज हम एक अत्यन्त भयावह, बेहद क्रूर और पशु समय में जी रहे हैं। यह समय सृजन का कम और विध्वंस का ज्यादा है। सत्ता और साहित्य का रिश्ता दिन-ब-दिन तल्ख होता जा रहा है। फिर कविता जैसी विधा इससे कैसे अछूती रह सकती है। कविता तो अपने समय की सबसे सुन्दर क्रिस्टेलाइज्ड फॉर्म है। ऐसे समय में एक रचनाकार को स्वयं तय करना होगा कि वह सत्ता की साहित्यिक दुरभिसंधियों का किस प्रकार सामना करे।‘‘ उन्होंने अपने वक्तव्य में बहुत सी महत्वपूर्ण बातें कहीं और संक्षेप में आज के पूरे साहित्यिक परिदृष्य पर बात की। उन्होंने हिमालय मंच को इस गरिमामय और भव्य आयोजन के लिए मंच को बधाई देते हुए कहा कि हिमालय मंच वह कार्य कर रहा है जिसकी दूसरी संस्थाओं से कम अपेक्षा की जाती है। कुमार कृष्ण जी ने अपनी नई कविता पुस्तक ‘धरती पर अमरबेल‘ का स्वयं लोकार्पण करते हुए कहा कि एक लेखक को अपनी पुस्तक खुद लोकार्पित करनी चाहिए। यह कहते हुए उन्होंने इसे वरिष्ठ कवि कुल राजीव पंत को भेंट कर दिया। यह जानकारी आज मीडिया को मंच के अध्यक्ष और प्रख्यात साहितकार एस आर हरनोट ने दी।

 

मंच के अध्यक्ष हरनोट ने बहुत खूबसूरत अंदाज में कुमार कृष्ण का स्वागत उनकी रचनाशीलता पर एक कविता से किया और उनका आभार व्यक्त किया कि अस्वस्था के उपरांत वे चंडीगढ़ से इस आयोजन में पहुंचे। उन्होंने उनके रचनाक्रम पर विस्तार से बात की और कहा कि ‘‘यदि कुमार कृष्ण वर्ष 1985-86 के दौरान उन्हें न मिलते, उनका आशीर्वाद न मिला होता तो उनका कहानी के क्षेत्र में आना संभव न होता। पहली दो पुस्तकें पंजा और आकाशबेल कुमार जी ने ही प्रकाशित करवाई थी। उन्होंने दो बड़ी विशेषताएं भी कुमार जी की व्यक्त की कि पहली यह कि उनका हस्तलेख इतना सधा हुआ और आकर्षक है कि कॅप्यूटर के हिन्दी फॉन्ट भी उसके आगे बौने लगने लगते हैं। उनकी कई पुस्तकें हुबहू हस्तलेख में ही प्रकाशित हुई है। दूसरी यह कि उन्होंने हर उन नए रचनाकारों पर लिखा है जिनमें लेखक की बहुत क्षमताएं हैं और साथ कई युवा और वरिष्ठ रचनाकारों पर उनकी कविताएं और पत्र चौंकाते हैं। यह इसलिए महत्वपूर्ण है कि आज के समय बहुत कम लेखक हैं जो दूसरे लेखक को प्रोत्साहित करते हैं।

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हरनोट ने हिमाचली टोपी, मफलर भेंट कर उन्हें तथा विशेष अतिथि गंगाराम राजी और विजय विशाल का स्वागत किया। कुमार कृष्ण जी ने अपनी 47 वर्ष की कविता यात्रा को आज तक लिखी अंतिम कविता तक, कविता पाठ द्वारा लेखकों के समक्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने “उम्मीद का पेड़” कविता संग्रह में से सभागार में उपस्थित तीन रचनाकारों – कुल राजीव पंत, गणेश गनी और एस आर हरनोट – पर लिखी कविताओं का पाठ भी किया। हरनोट ने अंत में नवोदित और उन युवा कवियों को परामर्श भी दिया कि उन्हें बजाए गुग्गल के पास जाने के खुले मन से सीखने कुमार कृष्ण की कविताओं के पास जाना चाहिए।

 

विशेष अतिथि गणेश गनी ने अपने कविता पाठ से पूर्व बलवंत नीव के पहले कविता संगह पर, आज के समसामायिक कविता परिदृष्य पर कुछ महत्वपूर्ण बातें कहीं। उनका मानना था कि आज के इस आयोजन में कुमार कृष्ण जैसे कवि को सुनना जीवन की उपलब्धि है। हिन्दी साहित्य विशेषकर कविता के क्षेत्र में आज कुमार कृष्ण जैसा कवि दुर्लभ है।

 

मंच का संचालन और कुमार कृष्ण जी के व्यक्तित्व तथा रचनाकर्म पर अकादमी के सचिव डॉ.कर्म सिंह ने बहुत खूबसूरत अंदाज में बात की और विस्तार से परिचय भी दिया।

 

दिन भर के इस कार्यक्रम के प्रातःकालीन सत्र के मुख्य अतिथि पद्मश्री ओमेश कुमार भारती थे और अध्यक्षता डॉ. शंकर वासिष्ठ ने की। उनके साथ मंच जानीमानी लेखिका डॉ.उषा बंदे और वरिष्ठ आलोचक डॉ. हेमराज कौशिक ने साझा किया। पुस्तकों में डॉ.देविना अक्षयवर की आलोचना पुस्तक “आप्रवासी साहित्य और अभिमन्यु अनत”, डॉ.अनिता शर्मा की पुस्तक “क्योंथल-इतिहास, लोक जीवन एवं संस्कृति”, युवा लेखक कवि बलवंत नीब का कविता संग्रह “एक स्पर्श एहसास भर” और वरिष्ठ लेखक जगदीश कश्यप की कविता पुस्तक “डर लगने लगा है” का लोकार्पण किया गया। ये लोकार्पण मुख्य अतिथि अध्यक्ष, वशिष्ठ अतिथि सहित लेखकों के हाथों सम्पन्न हुए। प्रमुख वक्ताओं में डॉ. हेमराज कौशिक, गणेश गनी, डॉ. जगदीश बाली, डॉ. देवकन्या ठाकुर, दिनेश कुमार, डॉ.देविना अक्षयवर शामिल रहे जिन्होंने चारों पुस्तकों पर विस्तार से चर्चा की। लेखकों ने भी अपनी बात सांझा की। पदमश्री ओमेश भारती, शंकर वासिष्ठ और गंगाराम राजी ने सभी लेखकों को बधाई देते हुए हिमालय मंच के इस आयोजन की खूब प्रशंसा की। हिमालय मंच द्वारा अतिथियों और वक्ताओं का सम्मान भी किया।

 

इसके बाद हिमाचल के विभिन्न स्थानों कुल्लू, मंडी, सुन्दर नगर, सोलन, नौणी, नालागढ़, सिरमौर, शिलाई, जुब्बल, पांवटा, चियोग, बिलासपुर, सरकाघाट, नालागढ़ और रामपुर और शिमला से पधारे अतिथि कवि रचनाकारों, छात्रों और हिमालय मंच के सदस्यों ने कविता पाठ किए। कवि गोष्ठी और श्रेताओं में जो रचनाकार शामिल रहे उनमें गणेश गनी, विजय विशाल, कुल राजीव पंत, ओमेश भारती, शंकर वासिष्ठ, गंगाराम राजी, रौशन विक्षिप्त, मदन हिमाचली, कैलाश गौतम, राजन तनवर, सिकंदर कुमार, जयचंद शर्मा, रत्न चंद निर्झर, रणजोध सिंह, विनोद रोहतकी, श्वेता मिश्रा, सतीश शर्मा, दायक ठाकुर, देविना अक्षयवर, अनिता शर्मा, दीप्ति सारस्वत, सविता ठाकुर, सुरेन्द्र शर्मा, चंद्रेश कुमार, अनु ठाकुर और उनका परिवार, रामलाल वर्मा, जगत प्रसाद शास्त्री, कुल भूषण शर्मा, हरदेव सिंह धीमान, लेखराज चौहान, सेजल, अनिल शर्मा, राजेश, वीरेन्द्र शर्मा, बलवंत नीब, वीरेन्द्र कुमार, अश्विनी कुमार, सेजल, अजय विचलित, रामलाल वर्मा, जगत प्रसाद शास्त्री, भारती कुठियाला, कल्पना गांगटा, उमा ठाकुर नधैक, ओपी शर्मा, जगदीश कश्यप और उनका परिवार तथा परिजन, दक्ष शुक्ला शामिल रहे। इनके साथ सेंट बीड्ज और दूसरे विद्यालयोें के छात्र और कुछ स्थानीय रचनाकार शामिल रहे।

 

कार्यक्रम की लाइव रिकार्डिंग और प्रस्तुति हिमालय डिजिटल मीडिया के प्रभारी व पत्रकार हितेन्द्र शर्मा ने की जबकि प्रचार सामग्री के प्रकाशन का जिम्मा जगदीश हरनोट ने संभाला था। मंच के बेहद सक्रिय सदस्य विरेन्द्र कुमार और कवि सदस्य सुमन धनंजय ने कार्यक्रम की सारी व्यवस्था संभाली। इस आयोजन में अप्रत्यक्ष सहयोग भी आदरणीय साहित्य प्रेमी मित्रजनों का मिला जिसके लिए दिल से आभारी हूं। नालागढ़ से पधारी लेखिका, समाजसेवी और वेब पोर्टल हिमाचल दर्शन की संचालिका अनु ठाकुर ने कार्यक्रम की विडियो रिकार्डिंग भी की जो उनकी वाल पर उपलब्ध है।

 

 

Deepika Sharma

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