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EXCLUSIVE: राज्य शिशु गृह के मासूम बच्चों के स्वास्थ्य देखभाल पर सवाल

रात को गृह में बच्चों के देखभाल के लिए कोई नर्स नहीं,मात्र दिन में एक ही नर्स

 

राज्य शिशु गृह में अपना जीवन व्यतीत कर रहे लगभग बीस मासूम बच्चों के स्वाथ्य देखभाल पर बड़ा सवाल खड़ा हुआ हुआ है।मामला ये सामने आया है कि बच्चों की रात को देखभाल के लिए कोई नर्स उपलब्ध नहीं है। मात्र एक नर्स दिन के समय मौजूद होती हैं लेकिन वह रात की शिफ्ट नहीं दे पाती है। हैरानी है कि प्रदेश सरकार इस और गौर क्यों नहीं कर रही है यदि रात को किसी बच्चे के साथ के साथ कोई दिक्कत हो जाए तो आखिर उन्हें कोन देखेगा ।

गौर हो कि राज्य शिशु गृह में कई बच्चे दूध मुहें हैं और कुछ बच्चे दिव्यांग भी है लिहाजा बच्चों की देखभाल के लिए कम से कम 2 नर्स का होना बेहद जरूरी होता है। अब यह तो स्वाभाविक है कि कई दिक्कतें राज्य शिशु गृह में स्टाफ को भी झेलनी पड़ रही है क्योंकि आया को यह समझाना कि बच्चे को किस तरीके से दवाई दी जाए या बेहद ही मुश्किल रहता है क्योंकि नर्स को ही यह जानकारी रहती है कि किस समय किस बच्चे को आखिर किस तरह की दवा का इस्तेमाल और कितना किया जाए ,लिहाजा एक नर्स का होना बहुत जरूरी है।

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यदि रात को बच्चा बीमार पड़ जाता है तो भी काफी मुश्किलें राज्य शिशु गृह को उठानी पढ़ रही है। हैरानी है कि राज्य शिशु गृह केवल एक ही ऐसा गृह राज्य में सरकारी तौर पर कार्यरत है जहां पर 0 से 5 वर्ष के बच्चों को रखा जाता है। कई बच्चे झाड़ियों नालियों में फेंके कैसे मिलते हैं और कई बच्चों के माता-पिता होने के बावजूद उन्होंने नहीं पाल पाते हैं।

कई एकल महिलाएं होती है जो अपने बच्चों को अपने पास नहीं रख   पाती है, लिहाजा बच्चों की देखभाल सरकार के हाथ में होती है लेकिन हैरानी है कि सरकार भी इस और विशेष तौर पर ध्यान नहीं दे पा रही है कि बच्चों की देखभाल के लिए दो नर्स का होना बेहद आवश्यक है जिसने एक नर्स दिन के समय कार्य करें और एक नर्स रात के समय कार्य करें।

क्या कहते हैं डीसी

 

शिमला डीसी आदित्य नेगी का कहना है कि शिशु गृह में नर्स की उचित संख्या का होना आवश्यक है लिहाजा इस पर गौर किया जाएगा।

Deepika Sharma

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