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असर पर बेबाक आवाज़
पा जी संत एक्सयूवी च औंदे ने, वीर मेरे ओना कोल जाणा पैंदा लबणा पैन्दा सब कुछ शड के होर किते तुआडी क़िस्मत च होवे तुआडी आस्था भक्ती इनी कर होवे के तुआनु संत मिल जाण फेर ओना कोल रै के अपना आप बिसारना पैंदा आ कुछ त आडंबर ने। ओ नानक सच्चे बादशाह वेख तेरा विरसा किथे भूलेया पिया।
बेबाक लेखक




