
रिटायर्ड मेजर जनरल एके शौरी की कलम से
यक्ष ने अपने प्रश्नों की कड़ी को आगे बढ़ाते हुए युधिष्ठिर से अपना अगला पूछा. यक्ष ने पूछा, वह क्या है जो सोते समय अपनी आँखें बंद नहीं करता है; क्या है जो जन्म के बाद नहीं चलती? वह क्या है जो हृदय विहीन है? और वह क्या है जो अपनी ही गति से प्रफुल्लित होता है? युधिष्ठिर ने उत्तर दिया, “मछली सोते समय अपनी आँखें बंद नहीं करती है, अंडा जन्म के बाद नहीं हिलता: पत्थर दिल के बिना होता है, और एक नदी अपने वेग से प्रफुल्लित होती है।

यक्ष ने पूछा, “वनवास का मित्र कौन है? गृहस्थ का मित्र कौन है, उसका दोस्त कौन है जो बीमार है? और जो मरने वाला है उसका दोस्त कौन है? युधिष्ठिर ने उत्तर दिया, दूर देश में वनवास का मित्र उसका साथी है, गृहस्थ का मित्र पत्नी है; जो बीमार है, उसका दोस्त वैद्य है, और जो मरने पर है, उसका दोस्त दान है।
आइए कुछ चीजों को समझने की कोशिश करते हैं. अब, जब कोई व्यक्ति पराये देश या विदेश जाता है, वहां उसका कोई रिश्तेदार नहीं होता है, कोई ज्ञात व्यक्ति नहीं होता है और वह एक विदेशी वातावरण में अकेला होता है, तो ऐसे में वहां उसका साथी कौन होता है? वहां समान विचारधारा वाले लोगों के साथ वहां उसका मेल होता है और उनमें से कुछ उसके दोस्त बन जाते हैं, जो उसे पूरा समर्थन देते हैं। ये दोस्त वहां उसके सच्चे साथी होते हैं। जब हम कहते हैं कि विवाहित व्यक्ति की सबसे अच्छी दोस्त उसकी पत्नी है, तो यह बिल्कुल सच है अगर हम भारतीय संस्कृति के दृष्टिकोण से इसकी सराहना करते हैं. यही कारण है कि उन्हें जीवन साथी कहा जाता है, जो हर परिस्थिति में अपने पति के साथ खड़ी रहती है। और शादी एक जन्म के लिए नहीं बल्कि अगले सात जन्मो के लिए होती है, इसका सीधा सा मतलब है कि पति-पत्नी का रिश्ता बेहद मजबूत व् पवित्र होता है.
अब, इसी तरह की सादृश्य पर, एक बीमार आदमी का सबसे अच्छा साथी व् हितैषी व्यक्ति कौन होता है? स्वाभाविक रूप से, डॉक्टर, जो बीमारी के बारे में जानता है, उसके रोग के बारे में और रोगी का इलाज करता है. अब, भारतीय परंपराओं और रीति-रिवाजों के अनुसार, किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके साथ क्या जाता है, वह उसका कर्म है और उसका साथी कौन है, बिना किसी लाभ के अन्य लोगों को दिया जाने वाला उसका निःस्वार्थ दान।



