दिवाली पर पटाखे फोड़ने हैं ये कौन सी रामायण में है। दीपों के इस महोत्सव को बारूद माफिया के मुनाफे की भेंट चढ़ा आम आदमी के पैसों और सत्यता वातावरण को दूषित करने के लिए षडयंत्र रचती मिडिया। महोदया हमारे देवी देवताओं ने अकसर पहाड़ों ओर जंगलों में तपस्या की है जिसकी वजह शांति के साथ साथ पर्यावरण की शुद्धता भी थी। और रही तुम्हारी पत्रकारिता की बात इसे इतना मत गिराओ के लोग इसे गाली के रुप में प्रयोग किए जाने वाले देह व्यापार से भी निम्न और तुच्छ समझने लगें ।
बेबाक लेखक
शिमला से…..




