
आखिर कोविड से हिमाचल में मौत का ग्राफ क्यों नहीं थम रहा इसे लेकर हिमाचल के विशेषज्ञों से असर न्यूज़ ने खास बातचीत की। हिमाचल के नामी विशेषज्ञ डॉक्टर आलोक शर्मा का कहना है कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि हिमाचल में मौतों का ग्राफ थमने का नाम नहीं ले रहा लेकिन इसका एक अहम कारण यह है कि मरीज बहुत देरी आ रहे हैं ।

उसमें 90 फ़ीसदी से ज्यादा मरीज ऐसे हैं जो बहुत ही देरी की अवस्था में अस्पताल लाए जा रहे हैं। हैरानी का विषय एक यह भी है कि गांव से ज्यादा शहर से यह मामले ज्यादा आ रहे हैं और चौंकाने वाली बात यह है सीवियर मरीजों में देरी से आने वाले मरीजों में शहर के मामले गांव से कहीं अधिक है।
लिहाजा कोविड के सिवियायर स्टेज में जाने के कारण बाद उसे वापस लाना असंभव रहता है। डॉक्टर आलोक कहते हैं कि यदि सरकार की गाइडलाइन का पालन सही तरीके से किया जाए और समय पर मरीज आए तो उसे बचाने में हिमाचल का डॉक्टर स्टाफ सक्षम है।

इस बाबत आईजीएमसी के विशेषज्ञ डॉ राहुल गुप्ता का कहना है कि आईजीएमसी में भी यह देखा जा रहा है कि जो भी मरीज अस्पताल आ रहे हैं उनमें से 90 फीसदी से ज्यादा मरीज बहुत ही देर से चिंतनीय अवस्था में आ रहे हैं। डॉक्टर गुप्ता कह रहे हैं कि
लोग सबसे ज्यादा घर पर ही अपने आप ही डॉक्टर बन जाते है। ऑक्सिजन मंगवा लेते है और घर पर ही इलाज शुरू कर देते है। जब लंग्स की स्थिति 75 फीसदी से ज्यादा खराब होती है। तब तबीयत एकदम बिगड़ जाती है तब अस्पताल दौड़ते हैं। ये भी देखा जा रहा है की लोग यूट्यूब , या सोशल मीडिया के तरीके इलाज में इस्तेमाल कर रहे हैं जो कई बार भारी पड़ रहे हैं।
डॉक्टर गुप्ता कहते हैं कि आईजीएमसी में kovid centre सक्षम तरीके से तैयार किया गया है ।लेकिन यदि मरीज अपना ऑक्सीजन लेवल बहुत ही निम्न स्तर का लेकर पहुंच जाए तो उसे कैसे बचाया जा सकता है। अभी भी लोगों की लापरवाही सामने आ रही है कि या तो वह समय रहते टेस्ट नहीं करवाते या फिर ऐसे समय में रेफर किए जाते हैं जब उनकी स्थिति बहुत ही नाजुक रहती है।

हिमाचल के अन्य विशेषज्ञ डॉ परवीन चौहान का कहना है की रोग से डरने की नहीं लड़ने की जरूरत है। उनकी टीम रिपन के कोविड सेंटर में बेहतर काम कर रही हैं।मरीजों को सही उपचार देकर उन्हें ठीक करने की कोशिश कर रही है।
मौत होने की एक अहम वजह अस्पताल में देरी का कारण भी है। ये भी अवशायक है कि वह घर पर ही अपना इलाज ना करता रहे बल्कि यदि लक्षण दिखते हैं तो तुरंत अस्पताल आए जिसमें उसका इलाज संभव है। निसंदेह जैसे ही मामले कम होंगे डेथ रेट में भी कमी देखी जाएगी लेकिन जरूरी है कि व्यक्ति इसे लेकर लापरवाही ना बरतें और समय पर अस्पताल आए।

