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सरकार ने न तो कार्टन के रेट तय कर खरीद की है और न ही मण्डी मध्यस्थता योजना(MIS) की घोषणा की

 

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) का मानना है कि प्रदेश में सेब सीजन आरम्भ होने के बावजूद सरकार द्वारा इसकी तैयारियों को लेकर अभी तक कोई भी कदम नही उठाए है। आज तक भी सरकार ने न तो कार्टन के रेट तय कर खरीद की है और न ही मण्डी मध्यस्थता योजना(MIS) की घोषणा की है। जिससे बागवानों को आज बेहद परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और सेब की करीब 5500 करोड़ रुपए की आर्थिकी का संकट और अधिक बढ़ा है। पार्टी सरकार के किसानों व बागवानों के प्रति इस उदासीन रवय्ये की कड़ी निंदा करती है। सरकार के मंत्री व अधिकारी मात्र औपचारिक रूप से बैठकें कर रहें हैं परन्तु इसमे बागवानों को पेश आ रही दिक्कतों का कोई भी समाधान नही निकाला जा रहा है। बागवानी मंत्री ने तो इन समस्याओं के समाधान के लिए न तो आज तक कोई बैठक की है और पूरी तरह से इससे पल्ला झाड़े हुए हैं। पार्टी मुख्यमंत्री से मांग करती है कि वह सीधे रूप से हस्तक्षेप कर इन समस्याओं का समाधान करें। यदि सरकार तुरन्त इन समस्याओं के समाधान के लिए कदम नही उठती तो सीपीएम किसानों व बागवानों के संगठनों के साथ मिलकर सरकार की इन किसान विरोधी नीतियों के विरुद्ध संघर्ष करेगी।

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सरकार की नीतियों के कारण आज खाद, कीटनाशक, फफूंदीनाशक, पैकेजिंग सामग्री व अन्य लागत वस्तुओं की कीमतों में भारी वृद्धि की गई है। एक वर्ष में खाद की कीमतों में 70 से 100 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। *इसके साथ ही पैकेजिंग सामग्री जिसमे कार्टन व ट्रे की कीमतों में भी सरकार द्वारा GST 18 प्रतिशत करने से इनकी कीमतों में भी इस वर्ष 18 से 20 रुपए प्रति कार्टन व करीब 150 से 200 रुपए तक ट्रे के एक बंडल में वृद्धि हुई है। सरकार द्वारा सिंतबर, 2021 में कार्टन पर GST बढ़ाकर 18 प्रतिशत किया गया तबसे लेकर पार्टी व विभिन्न संगठनों के द्वारा इसको घटाकर 5 प्रतिशत करने की मांग की जा रही है।* बावजूद इसके सरकार ने इसको लेकर आजतक कोई भी कदम नही उठाया है। गत 5 वर्षों में जबसे बीजेपी की सरकार बनी है कार्टन की कीमत में 100 प्रतिशत की वृद्धि की गई है और आज यह दोगुनी हो गई है। सरकार ने एक तो कृषि व बागवानी क्षेत्र में जो सब्सिडी दी जाती थी उसे बन्द कर दिया है तथा इनकी लागत वस्तुओं पर टैक्स निरन्तर बढ़ाया जा रहा है जिससे लागत कीमत में भारी वृद्धि हो रही है जबकि किसानों व बागवानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य न मिलने से उनका संकट बढ़ रहा है। सरकार की इस खुला बाजार व खुला व्यापार की नीति से केवल कॉरपोरेट घरानों व कंपनियों को लाभ पहुंच रहा है।

सरकार के पास आज भी किसानों व बागवानों को सब्सिडी व मण्डी मध्यस्थता योजना(MIS) का वर्षों से करोड़ों रुपए का बकाया शेष है और सरकार यह भुगतान नही कर रही है। *आज भी HPMC व Himfed ने बागवानों का मण्डी मध्यस्थता योजना(MIS) खरीद किये सेब का करीब 42 करोड़ रुपए से अधिक का बकाया भुगतान करना है परन्तु सरकार इस ओर कोई भी ध्यान नही दे रही है।* पार्टी मांग करती है कि सरकार तुरन्त किसानों व बागवानों के बकाए का भुगतान करे तथा प्रदेश में भी कश्मीर की तर्ज पर मण्डी मध्यस्थता योजना लागू कर A ग्रेड के सेब का मूल्य 60 रुपये, B ग्रेड का 44 रुपये व C ग्रेड का 24 रुपये तय किया जाए।

सीपीएम सरकार की इन किसान व बागवान विरोधी नीतियों के विरुद्ध किसानों व बागवानों के संगठनों के द्वारा चलाए जा रहे आंदोलनों के समर्थन करती है तथा सभी किसानों व बागवानों से आग्रह करती है कि सरकार की इन किसान व बागवान विरोधी नीतियों को पलटने के लिए मिलकर संघर्ष करें।

 

Deepika Sharma

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