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भारतीय संस्कृति विश्व की अद्वितीय प्राचीन संस्कृति है

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भारतीय संस्कृति विश्व की अद्वितीय प्राचीन संस्कृति है जो सदैव ज्ञान-विज्ञान की परंपराओं से प्रेरित रही है। विश्व की सर्वोपरि वैज्ञानिक मान्यताओं का आधार भारत भूमि रही है। महर्षि पतंजलि द्वारा स्थापित एवं अन्य महाऋषियों द्वारा परिपोषित योग विज्ञान की अद्भुत कला भारतवर्ष में विकसित हुई। इस कला विज्ञान में योग के अनेक रूप विश्व के सामने आए जिसमें कर्मयोग, भक्तियोग, ज्ञानयोग एवं राजयोग की महाविधाएं प्रकट हुई। पाश्चात्य जगत में केवल यह भ्रांति है कि केवल प्राणायाम आसन ही योग है।

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अध्यक्ष श्रीमती उमा नांदूरी, ललित कला अकादेमी, नई दिल्ली एवं सचिव (प्रभारी) ललित कला अकादेमी, नई दिल्ली के कुशल मार्गदर्शन तथा डॉ० नन्द लाल ठाकुर, उपाध्यक्ष, ललित कला अकादेमी, नई दिल्ली के दिशानिर्देश में अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर योग प्रशिक्षण एवं चित्रकला कार्यशाला का आयोजन किया गया।

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अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर डॉ० नन्द लाल ठाकुर, उपाध्यक्ष, ललित कला अकादेमी, नई दिल्ली द्वारा इस आयोजन का उद्घाटन किया गया। मुख्य अतिथि महोदय ने अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर इस आयोजन में प्रतिभागी छात्र-छात्राओं व अन्य सम्मिलित प्रबुद्धजनों को योग के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए महर्षि पतंजलि द्वारा स्थापित एवं अन्य महाऋषियों द्वारा परिपोषित योग विज्ञान की अदभुत कला भारतवर्ष में विकसित होने तथा योग-प्राणायाम में विश्व गुरु होने पर गौरव करते हुए समस्त प्रतिभागियों से प्रतिदिन नियमित रुप से योग-प्राणायाम करने का आहवान किया।

 

अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के इस आयोजन में श्री सुनील शर्मा, शोध छात्र, हि०प्र० विश्वविद्यालय शिमला द्वारा विभिन्न विद्यालयों के प्रतिभागी छात्र-छात्राओं को योग प्रशिक्षण दिया। योग क्रियाओं में उन्होंने आसन, ताड़ासन, वृक्षासन, पदहस्तासन, त्रिकोणासन, सूर्य नमस्कार, भुजांगासन, प्राणायाम, अनुलोन-विलोम तथा ध्यान योग पर विस्तार से अभ्यास करवाने के अतिरिक्त नियमित रुप से योग-प्राणायाम करने हेतु अनुरोध किया।

 

 

Deepika Sharma

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