सम्पादकीय

असर संपादकीय: एक भारत श्रेष्ट भारत’ मुहिम के अंतर्गत ‘केरल की भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका

 

 

केरल क्रांति की भूमि रही है और इसकी भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका रही है। ये बात केरल के जाने माने शिक्षाविद और लेखक डा० ईके गोविंदा वर्मा राजा ने आज एक बेवीनार को संबोधित करते हुए कहा। ये बेवीनार एक भारत श्रेश्ठ भारत मुहिम के अंतर्गत ‘केरल की भारतीय स्वतंत्रता संग्रम में भूमिका’ विषय पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के शिमला स्थित क्षेत्रीय लोक संपर्क ब्यूरो द्वारा आयोजित किया गया था। इस बेवीनार में शिमला के जवहारलाल नेहरू गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स के छात्रों ने भी प्रतिभाग किया।

 

बेवीनार की शुरुआत शिमला पीआईबी के उपनिदेषक श्री तारिक अहमद राथर के संबोधन से हुई। इस दौरान उन्होंने कहा कि केरल में आजादी के संग्राम की शुरुआत भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्रम से भी पहले से हो चुकी थी। भारत के स्वाधीनता संग्राम में केरल की भूमिका सबसे आगे रही, क्योंकि यहां काफी सारे ऐसे सत्याग्रह हुए जिन्होंने आजादी की लड़ाई को मजबूती दी।

 

इस मौके पर जवहारलाल नेहरु गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स की प्रिंसिपल डा0 मीना शर्मा ने कहा कि भारत को आजादी कई बलिदानों से मिली है, जिसमें केरल की भूमिका भी अहम रही है। उन्होंने कहा कि हिमाचल और केरल कहने को दो राज्य है, लेकिन आपस में इनमें काफी समानताएं हैं।

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वेबीनार के मुख्य वक्ता डा0 गोविंदा वर्मा राजा ने अपने संबोधन से विस्तारपूर्वक विषय के बारे में जानकारी दी। डा0 राजा ने केरल के इतिहास का हवाला देते हुए बताया कि केरल सदियों से अरब और चीन से व्यापार करता रहा है। इसी कारण यूरोप के देशों की इस पर नजर पड़ी। अपने संबोधन में उन्होंने प्रतिभागियों को जानकारी दी केरल में ब्रिटिष द्वारा बस मलाबार क्षेत्र पर ही राज किया गया और यही स्थान आजादी की लड़ाई का मुख्य केंद्र रहा। इस दौरान उन्होंने बताया कि आजादी का संघर्श जेमोरिन वंष से शुरू होकर 1947 तक चलता रहा और इस दौरान देवी वर्मा राजा, चेरिया रवि वर्मा सहित कई क्रांतिकारियों ने संघर्श किया। डा0 वर्मा ने बताया कि अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति के चलते वह कालिकट पर काबिज हो सके।

 

डा0 गोविंदा ने बताया कि केरल की धरती पर हुए कई सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक आंदोलनों, जिनमें नायर सर्विस सोसाइटी, साहोदारा प्रस्थानम, वाइकम मिंदंदर सत्याग्रह, असहयोग जैसे आंदोलनों ने भी भारत की आजादी की लड़ाई को बल दिया। अंत में उन्होंने कहा कि हमें इतिहास से बहुत कुछ सीखना चाहिए ताकि देश का भविश्य उज्ज्वल हो सके।

 

वेबीनार में धन्यवाद प्रस्ताव देते हुए प्रादेशिक लोक संपर्क ब्यूरो, चंडीगढ़, के सहायक निदेशक श्री बलजीत सिंह ने कहा कि युवओं को अपने इतिहास के प्रति सजग रहना होगा और उसमें रूची दिखानी होगी। वेबीनार का संचालन क्षेत्रीय लोक संपर्क ब्यूरो शिमला के प्रभारी और क्षेत्रीय प्रदर्शनी अधिकारी श्री अनिल दत्त शर्मा ने किया। वेबीनार में 65 लोगों ने प्रतिभाग किया।

Deepika Sharma

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