रोष : कोविड में वेतन कटौती पर उग्र हुए कर्मचारी

हिमाचल प्रदेश जलशक्ति विभाग अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ ने कोविड-19 के नाम पर पुनः कर्मचारियों व अधिकारियों के वेतन में कटौती करने के निर्णय पर आपत्ति जाहिर की है। महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष एल0ड़ी0 चौहान ने कहा कि पिछले वर्ष भी करोना महामारी के नाम पर कर्मचारियों व अधिकारियों का एक दिन का वेतन काटा गया, जिस का हमने इस आशय के साथ खुलकर समर्थन किया था की प्रदेश सरकार कर्मचारियों के हित मे आगे निर्णय लेगी, जबकि आज एक वर्ष बीत जाने के बाद भी सरकार ने कर्मचारियों की सुध नही ली । इसके अलावा चौहान ने कहा कि करोना काल मे मंत्रियों व विधायकों के रोके गए कुछ वेतन को बड़ी ही होशियारी से बजट सत्र में बहाल कर दिया गया । हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों को न तो छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के लाभ दिए गए और न ही एक वर्ष से फ्रीज किये गए महंगाई भते को बहाल किया गया, इसके अलावा न ही NPS कर्मियों हेतु केंद्र की वर्ष 2009 की अधिसूचना को लागू किया गया और न ही वादे के मुताबिक पेंशन पर कमेटी का गठन किया गया। एल0ड़ी0 चौहान ने कहा कि कर्मियों को उम्मीद थी कि 4-9-14 की लंबित मांग वर्तमान सरकार अवश्य पूरा करेगी, जबकि प्रदेश सरकार ने इस पर कर्मचारी संघो से बात करना भी मुनासिब न समझा। इसके अलावा आउटसोर्स कर्मियों हेतु सशक्त नीति बनाना, करुणामूलक आधार पर एकमुश्त छूट के तहत नोकरी देना जैसी मांगो पर सरकार ने कोई निर्णय नही लिया। वर्तमान में पुनः सभी कर्मचारियों व अधिकारियों से वेतन कटौती की अधिसूचना जारी की जाती है, जो कि सरासर गलत है। प्रदेश का हर कर्मचारी/अधिकारी सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहा है लेकिन जब कर्मचारियों की मांगों को ही सरकार ने तवज्जो नही दी उसको पूरा नही किया तो कर्मचारी भी क्यों अपने वेतन की कटौती की सहमति दें।
प्रदेश का कर्मचारी एक नही कई दिनों का वेतन कटवाने को तैयार रहेगा बशर्ते सरकार कर्मियों की मांगों को पूरा करें और उनका हक जारी करें तथा नेताओं के फालतू खर्चे में सौ प्रतिशत कटौती करे।
,,,,,,,,एल0 ड़ी0 चौहान



