
बोख्लाहट या सदमा मुझे नही में तो 9 सालों से हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ का प्रधान हूँ और रहूँगा लेकिन पुण्डीर जी अवश्य बौखलाहट और सदमे मे है – चौहान
हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने कहा है कि बोख्लाहट मुझे नही में तो 9 सालों से हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ का प्रधान हूँ और आगे भी रहूँगा । इससे कही जयादा महत्वपूर्ण यह है कि मैं एक प्रवक्ता हूँ जिसका मुख्य कार्य स्कूलो मे सेवाएं दे कर बच्चों को शिक्षित करना है जिसके बदले मे हमे वेतन मिलता है।
लेकिन पुण्डीर जी अवश्य बौखलाहट मे है ओर यह स्व्भाविक भी हें जिस प्रकार से माननीय शिक्षा मन्त्री कार्यालय में विशेष अधिकारी के सम्मानजनक पद से आज निदेशालय में धक्के खाने पढ़ रहे हें , साथ ही मान स्म्मान की मलाई छुट गई हें , विद्यालय में पढ़ाने की आदत रही नही,और मुफ्त मे वेतन लेने की आदत पड़ गयी है। कहीं इसी बोख्लाहट में वह गिरगिट की भान्ति रंग बदल रहे हें । उन्हे मै 9 मार्च की उनकी अपनी फेसबुक पोस्ट पर इस विवादित नारे पर उनके द्वारा सोशल मिडिया में दिया गया ज्ञान याद दिला दू जब उन्होने कहा था की में भी सिरमौरी हुं तथा यह “जोयिया” शब्द अपमानजनक हें आज केसे सम्मानजनक हो गया। संदेह तो यह भी हें कि कहीं जान बुझकर वह osd पद से हटाये जाने की भड़ास उतारने के लिय अपने इस विवादित बयान से व्यंगात्मक तरीके से माननीय मुख्यमन्त्री एव्ं माननीय प्रधानमन्त्री महोदय की छवि खराब न कर रहे हों। क्योंकि भारतीय समाज में एसे बहुत से उदहारण हें जिसमें प्रमाणित हुआ हें कि ” घर का भेदी लंका ढाये “।ऐसा महसूस हो रहा है कि उनकी कोई राजनीतिक मंशा जाग गयी है।
दुसरा यदि शिक्षको के तबादले इस नारे के कारण नही हुए तो सिरमौर जिला के दूरदराज क्षेत्र के एक ही विद्यालय हालां से 5 शिक्षको के तबादले व उसी विद्यालय के कुछ शिक्षको पर हुई FIR का कारण क्या था जिनके पद आज भी रिक्त हें उनमें से कोई भी शिक्षक न तो किसी संगठन का पदाधिकारी है और न ही नेता । वह केवल कर्मचारी के नाते अन्य हजारो कर्मचारियों के साथ 3 मार्च को आयोजित पुरानी पेंशन बहाली के जलुस का हिस्सा थे।
चौहान ने कहा कि आज जब पुण्डीर जी माननीय प्रधानमंत्री जी को नरिया मामा शब्द का प्रयोग कर रहे हैं उसके बाद यह कहना कि नरिया मामा अपमानजनक शब्द नहीं है अपने आप में हास्यपद लग रहा है क्योंकि 9 मार्च को अपने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से वह कर्मचारियों को नसीहत दे रहे थे कि यदि मुकेश अग्निहोत्री जी को मुकिया मामा और जगत सिंह नेगी को जगतु मामा शब्द का प्रयोग करें तो क्या यह सही होगा इसलिए उन्होंने कहा था कि ऐसे शब्दों का प्रयोग अपमानजनक है , कर्मचारियों को शर्म आनी चाहिए।
लेकिन आज जब स्वयं पुंडीर जी सार्वजनिक तौर पर अपनी पोस्ट के माध्यम से लाखों दिलों की धड़कन विश्व के प्रसिद्ध और लोकप्रिय प्रधानमंत्री मोदी जी को नरिया मामा शब्द का प्रयोग कर रहे हैं तो उन्हें कोई बुराई और अपमानजनक शब्द नहीं लग रहा है यह अपने आप में बहुत बड़ा मजाक है इस बात की जांच होना आवश्यक है क्योंकि यह अपमान देश का अपमान है इसलिए इस को हल्के में नहीं लिया जा सकता । मुख्यमंत्री जी को इस विषय पर संज्ञान लेते हुए कड़ी से कड़ी कार्रवाई अमल में लानी चाहिए नहीं तो भविष्य में कोई भी किसी का अपमान करने से परहेज नहीं करेगा और वैसे भी एक शिक्षक को इस तरह की भाषा शोभा नहीं देती है।


