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सरकार गैस, पेट्रोल, डीज़ल व अन्य आवश्यक वस्तुओं पर टैक्स बढ़ाकर आम जनता पर आर्थिक बोझ डाल रही

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भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच व विभिन्न कर्मचारियों की यूनियनों के द्वारा 28-29 मार्च, 2022 को होने वाली राष्ट्रव्यापी हड़ताल का समर्थन करती है तथा आम जनता से अपील करती है कि बीजेपी की मोदी सरकार के द्वारा मजदूर, किसान, कर्मचारी, आमजन व राष्ट्रविरोधी नीतियों को बदलने के लिए इस हड़ताल का हिस्सा बने। सरकार की इन्हीं नीतियों के कारण देश मे व्यापक बेरोजगारी, महंगाई व कृषि का संकट बढ़ रहा है। एक ओर सरकार गैस, पेट्रोल, डीज़ल व अन्य आवश्यक वस्तुओं पर टैक्स बढ़ाकर आम जनता पर आर्थिक बोझ डाल रही है और दूसरी ओर लाखों करोड़ रुपए की छूट बड़े कॉरपोरेट घरानों को दे रही है। जिससे आज अमीर और अमीर और गरीब और गरीब हो रहा है।

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जबसे देश में बीजेपी की मोदी सरकार सत्तासीन हुई है देश मे बेरोजगारी, महंगाई व कृषि का संकट तेजी से बढ़ा है। सरकार के द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र जिसमे बैंक, बीमा, रेलवे, रक्षा क्षेत्र, बिजली, तेल कंपनियां, हवाई अड्डे, एयर इंडिया व अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बेचने का कार्य तेजी से किया जा रहा है। आज मौद्रीकरण(NMP) के नाम पर देश के बुनियादी ढांचे जिसमे सड़क, रेलवे, हवाई अड्डे, खेल स्टेडियम, गैस पाइपलाइन आदि लाभ कमाने के लिए बिना किसी कीमत चुकाए निजी कंपनियों को सौंपा जाएगा। श्रम कानूनों को बदल कर श्रम सहिंता बनाए गए हैं जिससे मजदूरों का शोषण बड़े पैमाने पर बढेगा और कंपनियों व कॉरपोरेट घरानों को लाभ होगा। इसके साथ ही पेंशन व भविष्य निधि(PF) की दरों में निरंतर कटौती कर मजदूरों व कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई व हकों पर डाका डाला जा रहा है। इन नीतियों के कारण देश में रोजगार समाप्त हो रहा है और बेरोजगारी तेज़ी से बढ़ रही है। नियमित रोजगार को समाप्त कर अब रोजगार केवल ठेका, आउटसोर्स या अंशकालिक आधार पर ही दिया जा रहा है और इससे मेहनतकश वर्ग का शोषण बढ़ रहा है।

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सरकार की इन नीतियों के कारण पेट्रोल, डीज़ल, रसोई गैस, खाद्य व अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में निरंतर वृद्धि की जा रही है। हाल ही चुनाव के बाद घरेलू रसोई गैस के सिलिंडर की कीमत में 50₹ व पेट्रोल व डीज़ल की कीमतों में गत 5 दिनों में 3.20₹ की वृद्धि की गई है। इसके चलते व्यापक महंगाई बढ़ रही है और आम जनता को दो जून की रोटी अर्जित करना भी दूभर हो गई है। कृषि क्षेत्र में दी जाने वाली सब्सिडी में सरकार निरंतर कटौती कर रही है जिससे लागत वस्तुओं खाद, बीज, कीटनाशक, फफूंदीनाशक आदि के दामों में निरंतर वृद्धि की जा रही है और किसान को उसके उत्पाद का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। किसान लम्बे समय से सभी फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान करने व इसको कानूनी रूप से लागू करने के लिए आंदोलन कर रहा है परन्तु सरकार इनकी माँगो को पूर्ण नहीं कर रही है। सरकार कृषि क्षेत्र को कॉरपोरेट घरानों के हवाले करने की नीतियों को लागू कर किसानों का हक़ छीन रही है।

पार्टी का मानना है कि देश में मज़दूर, किसान व आमजन की व्यापक एकता व इनके द्वारा चलाए गए आंदोलन से ही सरकार की इन जनविरोधी नवउदारवादी नीतियों को पलटकर जनता को इस मौजूदा संकट से मुक्ति मिल सकती है।

 

Deepika Sharma

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