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असर संपदीय: केंद्रीय बजट 2022-23 के मायने : वी. अनंत नागेश्वरन)  

लेखक भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं

 

 

 

वित्त मंत्री द्वारा 1 फरवरी को प्रस्तुत 2022-23 के बजट की 4 प्रमुख विशेषताएं (4 सी) हैं – निरंतरता, यथार्थता, पारंपरिक व्यापार बुद्धिमत्ता और बड़ी परियोजना के साथ छोटी परियोजनाओं की शुरुआत।

बजट ने दो साल पहले शुरू की गई प्रथा, जिसके तहत सभी व्यय को कारोबार की आय के साथ रखा जाता है, को जारी रखा है। अतिरिक्त-बजटीय संसाधन; जिनमें उधार की गारंटी और इसकी प्रक्रिया, केंद्र सरकार के द्वारा पूरी की जाती है; चालू वर्ष के संशोधित अनुमानों (आरई) में 750 करोड़ रुपये के एकल परिवर्तनीय मद तक सीमित रखा गया है। बजट को अंतिम रूप देने में पारदर्शिता और त्रुटिहीन लेखांकन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गयी है, जैसा पिछले दो बजटों में भी देखा गया है।

 

 

 

पिछले दो वर्षों में, वैश्विक महामारी की कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए, सरकार द्वारा आपातकालीन ऋण योजनाओं तथा आपातकालीन खाद्यान्न समर्थन (पीएम गरीब कल्याण योजना) के माध्यम से समाज के कमजोर वर्गों को सहायता प्रदान की गयी है। इनमें सार्वजनिक वितरण की पात्रता के साथ-साथ अतिरिक्त खाद्यान्न का आवंटन, जिसे कई बार विस्तार दिया गया है तथा ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम व पीएम-किसान के आवंटन में वृद्धि शामिल हैं।

 

 

 

इस वर्ष के बजट में, आपसी-संपर्क आधारित क्षेत्रों, जो अभी तक अपने महामारी-पूर्व के स्तर पर वापस नहीं आ पाए हैं, के लिए आपातकालीन ऋण गारंटी योजना का विस्तार किया गया है। सूक्ष्म एवं माध्यम उद्यम (एमएसएमई) के लिए ऋण गारंटी ट्रस्ट में सुधार और इसमें अतिरिक्त पूंजी के आवंटन से एमएसएमई को 2.0 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त ऋण की सुविधा मिलेगी।

 

 

 

सरकार ने अर्थव्यवस्था में कई महत्वपूर्ण संरचनात्मक परिवर्तनों की शुरुआत की है और इसके लिए महामारी आपदा का उपयोग एक अवसर के रूप में किया गया है। कुछ उदाहरणों में शामिल हैं – 14 क्षेत्रों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाएं, पूर्वव्यापी कराधान से जुड़ी अनिश्चितता को समाप्त करना, निजीकरण, करदाता की उपस्थिति या सम्बंधित जानकारी के बिना (फेसलेस) आयकर मूल्यांकन और कॉर्पोरेट एवं व्यक्तिगत आयकरों में कमी, जहाँ करदाता कम या बिना छूट के कर के निम्न दर का विकल्प चुन सकते हैं या पुरानी पद्धति के तहत रिटर्न दाखिल कर सकते हैं। इसके अलावा, महत्वपूर्ण प्रक्रिया-आधारित उपायों, जैसे गति शक्ति डैशबोर्ड का शुभारंभ, सरकारी खरीद में सुधार, फैक्टरिंग कानूनों में बदलाव और खाता संगणक (एग्रीगेटर) रूपरेखा की शुरुआत की गयी है।

 

 

 

2022-23 का बजट, संरचनात्मक सुधारों और प्रक्रिया-सुधार के संयोजन से जुड़े दृष्टिकोण पर आधारित है। गति शक्ति के तहत विभिन्न पहल, एमएसएमई को ऋण सुविधाओं की सहायता देने के लिए कई पोर्टलों (उद्यम, ई-श्रम, एनसीएस और असीम) को आपस में जोड़ना, कौशल और क्षमता-वृद्धि, डाकघरों को कोर-बैंकिंग समाधान के साथ सक्षम बनाना, आयकर प्रपत्र में पिछले दो साल तक की त्रुटियों को ठीक करने के लिए वर्तमान के आयकर प्रपत्र में उल्लेख की सुविधा और चयनित क्षेत्रों के अंतर्गत विश्वस्तरीय विदेशी विश्वविद्यालयों और संस्थानों की स्थापना के लिए गिफ्ट शहर में सुविधा उपलब्ध कराना आदि को कुछ उदाहरणों के रूप में देखा जा सकता है।

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मौजूदा कीमतों पर सकल घरेलू उत्पाद में 11.2 प्रतिशत की वृद्धि दर का पूर्वानुमान कई लोगों को बहुत अधिक रूढ़िवादी लग सकता है, खासकर यह देखते हुए कि आर्थिक सर्वेक्षण में वर्ष 2021-22 के लिए स्थिर कीमतों पर सकल घरेलू उत्पाद में 8 प्रतिशत से लेकर 8.5 प्रतिशत के बीच की विकास दर का अनुमान लगाया गया है। चाहे कुछ भी हो, तिमाही दर तिमाही आधार पर वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में वास्तविक जीडीपी की गिरावट को देखते हुए इस पूर्वानुमानित वृद्धि दर के नीचे रह जाने के बजाय ऊपर चले जाने की संभावना अधिक है। यह वर्ष 2022-23 के लिए एक सकारात्मक आधार प्रभाव पैदा करता है। हालांकि, चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में आर्थिक गतिविधियों पर ओमिक्रोन वैरिएंट के असर की वजह से यह प्रभाव थोड़ा कमजोर रह सकता है। अगरवर्ष 2022-23 के दौरान विविध बाहरी झटके (तेल की कीमत का झटका, वैश्विक वित्तपोषण की स्थिति को प्रभावित करने वाला फेड की मौद्रिक नीति का सामान्यीकरण आदि) भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित करते हैं, तो 11.2 प्रतिशत की वृद्धि दर रूढ़िवादी लगने के बजाय विवेकपूर्ण लग सकती है।

 

 

 

एयर इंडिया में लगभग 52000 करोड़ रुपये के नकद प्रवाह को अलग रखने के बाद, सरकार का पूंजीगत व्यय संशोधित बजट अनुमान की तुलना में 36 प्रतिशत (और वर्ष 2021-22 के बजट अनुमान से 35.4 प्रतिशत) अधिक हो जाएगा। इसमें राज्य सरकारों को पूंजी प्रवाह के लिए एक लाख करोड़ रुपये का 50 साल का ब्याज मुक्त ऋण शामिल है। इसमें भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को (इक्विटी के रूप में प्रदान किया गया) 69000 करोड़ रुपये (पिछले वर्ष के 65000 करोड़ रुपये से अधिक) की वृद्धिशील बजटीय सहायता भी शामिल है। ये सारी जानकारियां पब्लिक डोमेन में हैं।

 

अगर राज्य सरकारों को अतिरिक्त उधार सीमा के रूप में इन एक लाख करोड़ रुपये की अनुमति दी जाती, तो उन्हें एक ऐसे ब्याज दर को वहन करना पड़ता जो उस दर से अधिक है जिस पर केन्द्र सरकार उधार लेती है। इसके अलावा, इस धन का उपयोग राजस्व व्यय के लिए किया जा सकता है। यह ब्याज मुक्त ऋण, जोकि पूंजीगत व्यय के लिए समर्पित है, इस प्रकार के व्यय को प्रोत्साहित करता है। तथ्य यह है कि नवंबर 2021 तक राज्यों का पूंजीगत व्यय पिछले वित्तीय वर्ष के इसी समान आठ महीनों की तुलना में 67 प्रतिशत अधिक था और यह पूरी तरह से पूंजीगत व्यय उद्देश्यों के लिए 50 वर्ष के इस ब्याज मुक्त ऋण के संगत में है।

 

 

 

हाल के वर्षों में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के पूंजीगत निवेश का वित्त पोषण उल्लेखनीय रूप से उधार के माध्यम से किया गया है और इससे इसके ब्याज का बोझ बढ़ गया है। सरकार बढ़ी हुई बजटीय सहायता प्रदान करके राष्ट्रीय राजमार्गों में निरंतर निवेश सुनिश्चित करते हुए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को वित्तीय रूप से एक सक्षम इकाई बनाए रखने की दृष्टि से इसे मजबूत कर रही है।

 

 

 

जैसे ही आत्मविश्वास और उत्साह के बूते नागरिकों के दिमाग पर इस समय छाई महामारी –जनित चिंताएं दूर होंगी, बजट में घोषित किए गए विभिन्न उपाय और उसमें परिकल्पित पूंजीगत निवेश संबंधी कदम निजी निवेश का अंबार लगाने में सफल होंगे।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Deepika Sharma

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