अब सरकार को डॉक्टर्स की ओर से आंदोलन की चेतावनी

हिमाचल प्रदेश चिकित्सक संघ के महासचिव डॉ पुष्पेंद्र वर्मा ने कहा कि सीएम ने हिमाचल के पूर्ण राज्यत्व दिवस के ऊपर भी प्रदेश के चिकित्सकों की अनदेखी की ।डॉ पुष्पेंद्र वर्मा ने बताया कि प्रदेश के सभी चिकित्सकों जिसमें दूसरी पैथी के चिकित्सक भी शामिल है ,उनकी संयुक्त संघर्ष समिति ने और खुद हर एक चिकित्सक संघ ने अलग से सबसे पहले इस वेतन आयोग में चिकित्सकों के वेतन भत्तों के साथ हुई नाइंसाफी का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री को रिप्रजेंट किया था। मुख्यमंत्री ने कहा था कि हम इस पर विचार कर रहे हैं और जल्द ही हम इन विसंगतियों को दूर करेंगे ।एक तरफ तो आज मुख्यमंत्री घोषणा कर रहे हैं कि पंजाब के वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करेंगे लेकिन दूसरी तरफ कोई भी अधिसूचना चिकित्सकों के वेतनमान को लेकर नहीं की गई।
सबसे आश्चर्यचकित करने वाला तथ्य यह है कि हमारे मौजूदा अनुबंध पर लगे चिकित्सकों और नए लगने वाले अनुबंध पर चिकित्सकों के हितों पर जबरदस्त कुठाराघात किया गया है। उनका जो वेतनमान का एंट्री लेवल है उसको 60% कर दिया गया है और साथ में उनके नॉन प्रैक्टिसिंग अलाउंस पर भी कैंची चला दी गई है।
ठीक है सरकार ने हमारे चिकित्सकों के साथ क्रोना महामारी में इंसेंटिव देने में हमें धोखे में रखा और हमारे किसी भी चिकित्सक को किसी भी तरह का इंसेंटिव नहीं दिया गया। लेकिन हम माननीय मुख्यमंत्री जी को याद दिला देना चाहते हैं कि अब यह इंसेंटिव की बात नहीं यह वेतन की बात हो रही है ।
तो इसलिए सरकार से हम कह देना चाहते हैं कि वह किसी भ्रम में ना रहे और प्रदेश के चिकित्सक अपने हकों के लिए लड़ना जानते हैं ।
उन्होंने कहा कि एक बात तो इस सारे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करते हुए तय हो गई की हमारी सरकार पंजाब वेतनमान की नकल करने में भी फेल हो गई। ना ही चिकित्सकों के वेतन की कैसे गणना की जानी चाहिए उसका कोई गणना कैलकुलेटर बनाया और ना ही कोई स्पष्ट अधिसूचना नान प्रैक्टिसिंग अलाउंस (31/12/2015 तक मिल रहे एनपीए के ऊपर दिए को कैसे नए वेतनमान में मर्ज करने को लेकर जैसा कि केंद्र सरकार ने अपने वेतनमान में स्पष्ट गणना कैलकुलेटर चिकित्सकों को लेकर जारी किया था) को लेकर सरकार लागू कर पाई। डॉ पुष्पेंद्र वर्मा ने कहा है कि एक-दो दिन के भीतर संयुक्त चिकित्सक मोर्चा की मीटिंग करने के बाद संघर्ष का बिगुल बजाने के लिए पूरे प्रदेश के चिकित्सक तैयार हो रहे हैं। और इस बार यह बात भी तय है कि चिकित्सक इस बार काले बिल्ले पहनकर नहीं बैठेंगे इस बार संघर्ष आर पार का होगा।