बड़ी खबर: आईजीएमसी में इन्फेक्शन कंट्रोल पर हुए बड़े निर्णय

शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आईजीएमसी) शिमला में वीरवार को दोपहर बाद हॉस्पिटल इनफेक्शन कंट्रोल कमेटी की बैठक आयोजित हुई । बैठक में हॉस्पिटल इनफेक्शन के नियंत्रण के लिए कई मुद्दों पर चर्चा की गई और जरूरी निर्णय लिए गए । अस्पताल में उपकरणों के स्टेरलाइजेशन (शोधित) करने के लिए केमिकल इंडिकेटर और बायोलॉजिकल इंडिकेटर इस्तेमाल किए जाएंगे ताकि उपकरण बेहतरीन गुणवत्ता के साथ स्टरलाइज हो सके । अस्पताल में विभिन्न ऑपरेशन थिएटर, लैब, ओपीडी और वार्डों में एल्बो ऑपरेटेड (कोहनी से चलने वाले) नल लगाए जाएंगे ताकि अस्पताल स्टाफ बार-बार हाथ से नल न खोलें ताकि संक्रमण फैलने की आशंका ना रहे। इसके अलावा नियमित तौर पर अस्पताल में जगह-जगह से इंफेक्शन जांचने के लिए सैंपल लिए जाएंगे । अस्पताल में मरीजों को खाना परोसने और खाना बनाने स्टाफ के बीच नियमित तौर पर चेकअप किए जाएंगे ताकि मरीजों में संक्रमण फैलने का डर ना रहे। इसी संदर्भ में अस्पताल में आगामी समय से तैनात किए जाने वाले इंटर्नस, पीजीस व अन्य स्टाफ को बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण संबंधी ट्रेनिंग दी जाएगी। अस्पताल में लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट प्रणाली विकसित की जाएगी । इसमें विभिन्न प्रकार के ब्लड सैंपल और यूरीन सैंपल को जांच के बाद नष्ट करने के लिए पहले स्टेरलाइज किया जाएगा। अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डॉ जनक राज ने बताया कि मरीजों के साथ अस्पताल स्टाफ को संक्रमण से बचाए रखने के लिए यह कमेटी गठित की गई है । अस्पताल में नियमित तौर पर संक्रमण को लेकर बैठकें आयोजित होती रहती हैं। उन्होंने बताया कि अस्पताल स्टाफ को समय-समय पर संक्रमण से खुद को बचाए रखने को लेकर प्रशिक्षण के साथ जागरूक किया जाता है। आईजीएमसी में रोजाना 700 से 800 मरीज विभिन्न वार्डों में अलग-अलग बीमारियों के उपचार के लिए दाखिल रहते हैं। साथ ही अलग-अलग ओपीडी में रोजाना 2 से 3 हजार मरीज इलाज के लिए पहुँचते हैं । वहीं सैकड़ों स्वास्थ्य कर्मी उनके इलाज के लिए तैनात रहते हैं । ऐसे में कई बार संक्रमण फैलने की आशंका रहती है। बैठक में आईजीएमसी के प्रधानाचार्य डॉ सुरेंद्र सिंह सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।




