सम्पादकीयसंस्कृति

असर न्यूज़ पर जल्द पढ़े ” (ज्ञान गंगा) साप्ताहिक स्तम्भ….

नामी लेखक मेजर जनरल ए के शोरी ( रिटायर्ड)की कलम से

 

मेजर जनरल ए के शोरी ( रिटायर्ड)

भारतवर्ष ऋषियों, मुनियों व विद्वानों का एक ऐसा देश है , जिस ने समस्त विश्व को सदैव ही ज्ञान की गंगा से नहलाया है। किसी समय भारतवर्ष में एक ऐसा ज्ञान का अथाह समुंद्र बहा करता था, जिसमे गोता लगाने के लिय देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी लोग यहाँ आते थे। नालंदा व तक्षिला विशविद्यालय मात्र शिक्षा ही नहीं प्रदान करते थे, बल्कि मनुष्य को जीवन जीने का सलीका सिखाने वाले ऐसे पूजनीय स्थल थे, जहां विद्यार्थी आ कर अध्यान करने से अपना जीवन सफल मान लेते थे। क्या था वो ऐसा जिसको जानने व समझने के लिय विद्यार्थी भारत आते थे? क्या कारण है कि प्राचीन भारतीय सभ्यता सबसे पुरातन होते हुए भी जिज्ञासा से भरपूर है और हमारे पुरातन शास्त्रों में बताया हुआ दर्शन आज भी नवीन माना जाता है। हमारी प्राचीन भारतीय संस्कृति ज्ञान की एक सोने की खान है।

हम जानते हैं कि किसी समय भारत को सोने की चिड़िया भी कहा जाता था। लेकिन भारत सोने की चिड़िया बना कैसे? ऐसी कैसी शासन व्यवस्था थी गुप्तकाल में कि उस काल को स्वर्ण काल से बुलाया जाता है? श्री राम द्वारा स्थापित राम- राज्य में सुशासन के कौन से मौलिक सिधांतों की पालना की जाती थी? क्या कारण है कि श्री कृष्ण रचित भगवद गीता व वाल्मीकि रामायण आज भी ऐसे शोध ग्रन्थ हैं जिनको जितनी बार भी पड़ा जाय, एक नई सीख ही पाते हैं।

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ऐसी ही एक चेष्टा हमारे चैनल के माध्यम से की जा रही है मेजर जनरल ए के शोरी ( रिटायर्ड) के साथ मिल कर। हमारा उदेश्य सिर्फ व सिर्फ हमारे प्राचीन महान ग्रन्थों मे बसी ज्ञान की गंगा को सरल, व्यवाहरिक व वर्तमान में प्रासंगिक बना कर सामने लाना है। जनरल शोरी हमारे चैनल के साथ प्रारंभ से ही जुड़े ही हैं। वे १९८२ बैच के भारतीय डाक सेवा के अधिकारी हैं जो भारतीय सेना में २१ वर्ष तक रहे और सेना डाक सेवा के अपर महानिदेशक के पद पर पहुंचे।

हिमाचल के साथ उनका विशेष स्नेह है कईं कि उन्हों अपने सेवाकाल में दो बार हिमाचल की सेवा की, निदेशक डाक सेवा व चीफ पोस्ट मास्टर जनरल हिमाचल के पद पर । कोरोना ने उनको भी अपने चंगुल में लपेटा और उनकी जीवन संगनी को सदैव के लिय उनसे छीन लिया। अब वे हर सप्ताह एक नया विचार ले कर अपने महान ग्रन्थों को हमारे पास लाने का कार्य करने जा रहे हैं। उनके लेखों में धार्मिक दृष्टिकोण न के बराबर होगा,अगर होगा तो ग्रन्थों में बसा हुया राजनीति शास्त्र, नीति शास्त्र, कुशल शासन व्यवस्था के सिद्धांत, नैतिक शिक्षा की बातें जो व्यवाहरिक भी होंगी व साथ ही मानव जीवन को संयमी, शांत व परिपक्व बनाने मे सहायक भी है इसलिय थोड़ा इंतज़ार कीजिए और हर सोमवार को पायें ज्ञान गंगा की अम्रत धारा।

Deepika Sharma

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