बच्चों केेे स्वास्थ्य के बारे में सभी को पूरी तरह सजग होकर अपने कर्तव्य का पालन करना होगा
चमन लाल शर्मा कला अध्यापक की कलम से

चमन लाल शर्मा,् कला अध्यापक का कहना है कि
लगभग इक्कीस महीने के बाद हिमाचल प्रदेश की लोकप्रिय जयराम जी की सरकार मां सरस्वती के दरवार अर्थात विद्यालय, अब पूरी तरह से खोलने जा रही है, क्योंकि 15 नवम्बर से प्रदेश भर के सभी सरकारी व नीजी पाठशालाओं में नियमित रूप से शिक्षण कार्य शुरू होने जा रहा हैं| चीन के वुहान शहर से एक खतरनाक वायरस की शुरुआत हुई थी, जिसके कारण प्रधानमंत्री मोदी जी ने 24 मार्च 2020 को संपूर्ण लौकडाउन का एक एतिहासिक फैसला लिया था| तब से लेकर अब तक बच्चे नाममात्र विद्यालय मे आए, इस लिहाज़ से जयराम जी का बच्चों की पढ़ाई बारे संवेदनशीलता दर्शाना अति सराहनीय कदम है|
देश व प्रदेश दोनों सरकारें बच्चों की शिक्षा बारे बार बार चिंता व्यक्त किया करती थी| यही कारण था कि सरकार ने भारत में बच्चों के जीवन पर ‘कोविड-19 संकट का प्रभाव’ सत्र में बच्चों के स्वास्थ्य, उनकी सुरक्षा और शिक्षा पर संकट तथा कोविड-19 के बाद बच्चों के लिए एक सत्तत् और सुरक्षित दुनिया की परिकल्पना पर ध्यान आकर्षित किया|
हिमाचल सरकार ने विद्यालयों को खोलने की अधिसूचना में कुछ अहम बातें बिलकुल साफ कर दी हैं कि पाठशालाओं में कोविड प्रोटोकॉल की पालना सख्ती से की जाए,सर्दी, खांसी, जुकाम की स्थिति में बच्चे स्कूल न आंए तथा जो बच्चे किसी कारणवश न आ पाए उनकी पढ़ाई सुचारू रूप से चलाने हेतु वाट्सएप के माध्यम से उन्हें शिक्षण सामग्री भेजी जाती रहे|सरकार की मंशा बिलकुल साफ है कि न तो बच्चों का पढ़ाई बारे नुकसान हो और न ही उनकी सेहत को खतरा पैदा हो| अब सभी शिक्षण संस्थानों व अभिभावकों का परम दायित्व बन जाता है कि वे कोविड से संबंधित प्रत्येक नियमों का पूरी तरह से पालन करें ताकि देश के भविष्य इन बच्चों के ज्ञानार्जन में कोई बाधा न आए तथा कोविड वायरस से भी सभी बच्चे सुरक्षित रहें| दुनिया के सबसे मशहूर मेडिकल जर्नल ‘द-लैंसेट ने माना है कि कोविड-19 के कारण मल्टी सिस्टम इनफ्लामैट्री सिंड्रोम यानि एम आई एस- सी रोग पैदा हो रहा है जिसे कोविड-19 से जोड़कर देखा जा रहा है| इस तरह की स्थिति प्रदेश में पैदा न हो इस लिहाज़ से ही सरकार ने कोविड प्रोटोकॉल को कड़ाई से लागू करने पर जोर दिया है, क्योंकि दिल्ली के राजधानी क्षेत्र में इस एम आई एस-सी के 200 मामले दर्ज किए गए हैं| यहाँ इस बात का जिक्र करना भी जरूरी है कि अमेरिकी संस्था “द-लैंसेट” मई 2020 से इस बीमारी का अध्ययन कर रही है और उसका कहना है कि इस बीमारी से बच्चों के हृदय, फेफड़े, आंते, व आंखे सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं| द-लैंसेट ने अपने शोध में यह भी पाया है कि इस बीमारी से 73 प्रतिशत बच्चों को पेट दर्द, 68 प्रतिशत को उल्टियां हो रही थी| यही नहीं 54 प्रतिशत बच्चों की हृदय की जांच (ई सी जी) रिपोर्ट भी ठीक नहीं थी| इनमें से 22 प्रतिशत बच्चों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ी, 71 प्रतिशत बच्चों को आई सी यू भर्ती करवाना पड़ा और 1.7 प्रतिशत बच्चों की मौत की भी पूष्टि की गई है| इसलिए बच्चों केेे बारे सभी को पूरी तरह सजग होकर अपने कर्तव्य का पालन करना होगा ताकि सरकार द्वारा बच्चों के हित के लिए खोली गयी पाठशालाओं में किसी भी विद्यार्थी के जीवन कोई खतरा पैदा न हो| आओ हम सब मिलकर सरकार के इस फैसले को सफल बनाने की ईमानदारी से कोशिश करें ताकि भविष्य में कोई यह न कहे कि सरकार, अभिभावकों व अध्यापकों की लापरवाही से बच्चों को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ा था |



