हैरानी : इंजीनियरों की फौज, पर क्लेरिकल स्टाफ पर कैंची!
मिनिस्ट्रियल स्टाफ के पद खत्म करना गलत: एल डी चौहान

हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी सेवाएं महासंघ ने लोकनिर्माण विभाग में वर्ष 2007 में लिपिकों के 73 पदों को खत्म करके अधीक्षक ग्रेड-2 के सृजित हुए पदों को यथावत रखने की मांग उठाई है। एनजीओ फेडरेशन के राज्य उपाध्यक्ष एल ड़ी चौहान ने कहा कि लोकनिर्माण विभाग के तहत बनने वाली सड़कों के एकाउंट्स व वितीय कार्यों को बेहतर तरीके से करने हेतु 2007 में सरकार ने 62 पद अधीक्षक ग्रेड-2 के सृजन उपरांत प्रधान मंत्री ग्रामीण सड़क योजना तथा राष्ट्रीय उच्चमार्ग कार्यालयों को दिए थे, जिनकी तैनाती उपरांत जहां प्रदेश की सड़कों के कार्यो को तीव्र गति मिली थी वही एकाउंट्स सहित वितीय कार्य बेहतर हुआ था। चौहान ने कहा कि वर्तमान में लोकनिर्माण विभाग के उच्चाधिकारी इन सृजित पदों में से 58 पद समाप्त करने की दिशा में प्रदेश सरकार के समक्ष राय रख रहे है जो कि अत्यंत निंदनीय है, क्योंकि हर स्तर पर इंजीनियर के आवश्यकता से अधिक पद सृजित हुए है जबकि इंजीनियर अधिकारी मिनिस्ट्रियल स्टाफ के पदों को खत्म करने की दिशा में सरकार को राय दे रहे है। चौहान ने कहा कि एक दौर था जब मात्र एक चीफ इंजीनियर जलशक्ति व लोकनिर्माण दोनों विभागों की जिमेवारी संभालने के साथ-साथ सचिव का भी कार्य संभालते थे लेकिन आज इंजीनियर की फौज है और मैक्सिमम कार्य टेंडर/ठेकेदार के तहत करवाये जाते है। किसी भी विभाग में लिपिक व अधीक्षक का अहम रोल रहता है , किसी भी ड्राफ्ट, पालिसी या नियम पर अधिकारी के हस्ताक्षर तब होते है जब मिनिस्ट्रियल स्टाफ की तरफ से उसे गहन निरीक्षण के उपरांत फेयर ड्राफ्ट के तौर पर प्रस्तुत किया जाता है, इसलिए इस श्रेणी के पदों को बढ़ाया जाना चाहिए न कि खत्म करना चाहिए। वर्तमान में लोकनिर्माण विभाग में 40 पद अधीक्षक वर्ग-11 के रिक्त पड़े है और उन पदों पर पदोन्नति हेतु पात्र वरिष्ठ सहायक भी है लेकिन उच्चाधिकारी रिक्त पदों पर पदोन्नति न करके इन पदों को ही खत्म करने की दिशा में सोच रहे है जिसका अराजपत्रित कर्मचारी सेवाएं महासंघ विरोध करेगा तथा माननीय मुख्यमंत्री व माननीय लोकनिर्माण विभाग मंत्री से भी मुलाकात करके वास्तविक पक्ष रखा जाएगा क्योंकि ये पद लिपिकों के 73 पदों को खत्म करने के बाद सृजित हुए है। माननीय मंत्री लोकनिर्माण विभाग से मांग है कि इस विषय को गंभीरता से लेते हुए मिनिस्ट्रियल स्टाफ के पदों पर कैंची न चलाई


