रवाचौथ व्रत नारी शक्ति, प्रेम और समर्पण का प्रतीक

भारत त्यौहार का देश है l जहाँ हर धर्म और संस्कृति के अनुसारअलग अलग पर्व मनाए जाते है l इन पर्वो में से एक है करवाचौथ, जो विवाहितमहिलाओ द्वारा अपने पति की लम्बी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिएमनाया जाता है l
करवाचौथ का पर्व हिंदू समाज के अनुसार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है l इस दिन विवाहित महिलाएं सूर्योदयसे चन्द्रदर्शन तक निर्जला व्रत रखती हैं l दिन भर बिना अन्न जल ग्रहण किएभगवान शिव पार्वती, गणेश की पूजा करती हैं l पति की दीर्घायु की कामना करती हैं l यह पर्व भारतीय संस्कृति में नारी की आस्था, समर्पण और सच्चे प्रेम का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है l यह एक बहुत ही भावनात्मक पर्व होता है, जो पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत करता है l त्यौहार हमारे जीवन में खुशियां और उमंग लाते हैं l यह न केवल मनोरंजन का माध्यम है, बल्कि सामाजिक एकता संस्कृति धरोहर और धार्मिक आस्था को भी प्रकट करते हैं l त्यौहारोंका महत्व केवल परंपराओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमें जीवन में सकारात्मक सोच सहयोग की भावना भी सिखाते हैं l हर त्यौहार का अपना विशेष महत्व होता है और यह त्यौहार हमारी संस्कृति विविधता और एकता को दर्शाते हैं l
करवाचौथ व्रत नारी शक्ति, प्रेम और समर्पण का प्रतीक है l यह पर्व न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि पति-पत्नी के बीच के विश्वास और स्नेह को भी दर्शाता है l भारतीय संस्कृति में करवचौथ का विशेष महत्व है,और इसे पूरी आस्था व श्रद्धा के साथ मनाया जाता है l
राजधानी में भी सुहागिन महिलाओ द्वारा अपने पति की लम्बी आयुऔर अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए व्रत रखा गया l करवाचौथ वाले दिनमहिलाओ को सिलाई बुनाई, चाकु इत्यादि का प्रयोग करना वर्जित माना जाताहैं l शाम के समय महिलाओ ने व्रत की कथा सुनी, भगवान शिव और पार्वती सेआशीर्वाद लेकर अपने पति की लम्बी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना की lऐतिहासिक रिज मैदान पर करवाचौथ पर्व को बड़े हर्षोल्लास के साथ मानयाजाता है l विभिन्न विभिन्न तरह की वेशभूषा में पूजा की थाली हाथों में लिएहजारों की संख्या में सुहागिने सजधज करसोलह श्रृंगार किये हुए जब चंद्रमाको अर्ध्य देती हैं, तो ऐसा प्रतीत होता है कि स्वयं चांद जमी पर उतर आया होक्यूंकि चंद्रमा को शीतलता और शांति का प्रतीक माना जाता है l निर्जला व्रत धारण करने करके भी सुहागिन महिलाओं में खासा उत्साह देखने को मिलता हैl
करवाचौथ केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि है भारतीय स्त्रियों की निष्ठा, प्रेम, त्याग का प्रतीक है l आज के आधुनिक समय में भी यह पर्व बड़े हर्षोल्लाह से मनाया जाता है l यह पर्व समानता और आपसी समाज का प्रतीक बनता जा रहा है l
करवाचौथ एक ऐसा पर्व है जो प्रेम, विश्वास, त्याग, समर्पण की मिसाल पेश करता है l यह न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि पति-पत्नी के पवित्र रिश्ते को गहराई से जोड़ने वाला पर्व भी है l आधुनिक युग में भी इस पर्व की प्रासंगिता बनी हुई है, क्योंकि यह हमें सिखाता है कि रिश्ते केवल अधिकारों से नहीं बल्कि कर्तव्य और त्याग से भी निभाए जाते हैं l हम इस पर्व की मूल भावना को समझे और उसे केवल औपचारिकता न मान कर सच्चे प्रेम और सम्मान के साथ मनाए l
जसवीर सूद (डिंपल सूद )




