200 स्कूल CBSE में, हिमाचल बोर्ड के कर्मचारी भड़के

धर्मशाला।
हिमाचल प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था इस समय एक नए मोड़ पर खड़ी है। सरकार ने हाल ही में घोषणा की है कि प्रदेश के 200 सरकारी स्कूलों को सीबीएसई बोर्ड में बदला जाएगा। सरकार का दावा है कि इस कदम से विद्यार्थियों को राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगी परीक्षाओं (NEET, JEE, NDA, UPSC) की तैयारी में लाभ मिलेगा और उन्हें एकीकृत शिक्षा प्रणाली से जोड़ा जाएगा।
लेकिन, इस फैसले ने हिमाचल स्कूल शिक्षा बोर्ड के कर्मचारियों में उबाल ला दिया है। कर्मचारी संघ का कहना है कि यह कदम न केवल बोर्ड के अस्तित्व पर सवाल खड़ा करेगा, बल्कि हजारों शिक्षकों और कर्मचारियों की नौकरी भी दांव पर लग जाएगी।
कर्मचारी संघ की आपत्तियाँ:
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स्थानीय पहचान पर खतरा: हिमाचल बोर्ड की किताबें राज्य के इतिहास, संस्कृति और भूगोल से जुड़ी होती हैं। CBSE में जाने से यह जुड़ाव टूट जाएगा।
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नौकरी और भविष्य पर संकट: यदि धीरे-धीरे स्कूल CBSE में शिफ्ट होते गए, तो बोर्ड के कर्मचारियों का क्या होगा?
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छात्रों पर अतिरिक्त बोझ: CBSE पाठ्यक्रम महंगे कोचिंग व निजी प्रकाशकों की किताबों पर आधारित है, जिससे ग्रामीण और गरीब परिवारों के बच्चे पिछड़ सकते हैं।


