सच्चे संत की शरण में बैठ मिले विश्राम मन माँगा फल तब मिले जपे राम का नाम”
जसवीर सूद ( डिम्पल ) की कलम से…

सच्चे संत की शरण में बैठ मिले विश्राम
मन माँगा फल तब मिले जपे राम का नाम”
“वास करे जिस स्थान में के हरी नाम विख्यात
ईश प्रेम बांटे सदा पूछे जात न पात”
इन शलोको को सही साबित कर दिखाया हैं, श्री राम शरणमके संस्थापक संत अश्वनी बेदी जी ने जिन्होंने अपना सारा जीवन रामनाम के लिए ही समर्पित कर दिया हैंI संत अश्वनी बेदी जी एकअध्यात्मिक गुरु समाज सेवी और राम नाम भक्ति के प्रचारक हैं I उनकासम्बन्ध श्री राम शरणम लुधियाना (पंजाब) से हैं , जहाँ वे वर्षो से भक्ति, सेवा, साधना के मार्ग को जन जन तक पहुंचा रहे हैं I
संत नरकेवल बेदी जी के सपुत्र अश्वनी बेदी जी का जन्म 26 जुलाई 1961 को लुधियाना में हुआI ईश्वर के प्रति श्रद्धा और सेवा काभाव बचपन से ही था, स्वामी सत्यानन्द महाराज जी, प्रेम जी महाराज केविचारों से इतने प्रभावित हुए की मन में यह ठान लिया की स्वयं भी रामनाम की मस्ती में डूब जाएँगे और जन मानस में भी राम नाम की अलखजगाएँगेI इसी अलख का परिणाम हैं की हजारों की संख्या में श्रद्धालु,साधिक राम नाम से जुड़ गए हैंI आप सवयं भी देख सकते हैं की आजऐसा कोई स्थान नहीं होगा जहाँ गुरु जी ने राम नाम की अलख न जगाईहोI
अश्वनी बेदी जी जैसे संत बहुत विरले होते हैं जोकि जनमानस को राम नाम से जोड़ते हैं, उन्होंने राम नाम जप सेवा और सचे गुरुकी भक्ति को भी मोक्ष का मार्ग बतायाI उनका निरंतर एक ही प्रयासरहता हैं की साधिक राम नाम का जाप निरंतर करे, सच्चे गुरु की सेवाकरे, जीवन में विनम्रता, करुणा और परोपकार को अपनाएI
बेदी जी ने समाज में भक्ति, एकता, नेतिकता की अलखजगाई हैं, वे नशा मुक्ति, शिक्षा, सेवा के क्षत्रो में भी सक्रिय रहते हैं I संतबेदी जी एक ऐसे संत हैं जिन्होंने न केवल राम नाम का महत्व बताया, बल्कि उसे जीवन में जिया और समाज को प्रेरित कियाI उनके विचारआने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं I
ऐसे गुरु को नत शिर प्रणाम हैं, जिन्होंने जन मानस को अपनेसे नहीं राम नाम से जोड़ाI शिमला राम शरणम आश्रम में गुरु जी केजन्मदिवस पर अमृत वाणी, भजन कीर्तन का आयोजन किया गया I भारीसंख्या में श्रधालुओ ने इसमें हिस्सा लियाI
जसवीर सूद ( डिम्पल )
