EXCLUSIVE: IGMC में बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए PGI की हरी झण्डी
सरकार यदि चाहे तो आईजीएमसी भी जल्द शुरू कर पाएगा“bone marrow transplant

”पीजीआई के ह्वमोटोलॉजी विभाग अध्यक्ष डॉ पंकज से असर न्यूज़ की ख़ास बातचीत …“हम बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए आईजीएमसी ज़रूर आएंगे “ हम तैयार है..
सरकार यदि गंभीरता से काम करेगी तो वो दिन दूर नहीं जब आईजीएमसी भी ब्लड कैंसर मरीजों के बचाव के लिए बोन मेरो ट्रांसप्लांट कर पाएगा । इसे लेकर बड़ी हामी पीजीआई से मिली है । पीजीआई के कैंसर विभाग के अध्यक्ष डॉ पंकज से “असर न्यूज़ “ने खास बातचीत की ।
उन्होंने साफ़ किया कि हम आईजीएमसी में बोन मेरो ट्रांसप्लांट के लिए पूरी तरह तैयार है । पीजीआई पर मरीजों का काफ़ी दबाव रहता है कारण ये कि बोन मेरो ट्रांसप्लांट के लिए मरीजों को काफ़ी लंबी डेट मिलती है ।
डॉ पंकज ने असर न्यूज़ को बताया की आईजीएमसी का स्टाफ काफ़ी योग्य है ।
उन्होंने ये भी साफ़ किया कि यदि सरकर संबंधित उपकरण और भरपूर स्टाफ़ की नियुक्ति करता है तो आईजीएमसी जल्द ही बोन मेरो ट्रांसप्लांट कर पाएगा igmc में ओंको विभाग के अध्यक्ष डॉ मनीष के साथ उनकी टीम ट्रांसप्लांट के लिए काफ़ी सक्षम है

आईजीएमसी में दो दिन की कार्यशाला में उन्होंने आईजीएमसी में ट्रांसप्लांट की कई अहम बारीकियों पर विस्तार से चर्चा की है ।
डॉ पंकज ने असर न्यूज़ को बताया कि कोशिश करेंगे कि इस साल आईजीएमसी का ओंको विभाग में बोन मेरो ट्रांसप्लांट हो सके ।
हिमकेयर से लाभ देने पर होगा विचार
“असर न्यूज़ “से विशेष बातचीत में डॉ पंकज ने बताया कि कोशिश की जाएगी कि शुरू के चार पाँच ट्रांसप्लांट निशुल्क किए जाय जिसके बाद कोशिश की जाए कि उसके बाद ये सुविधा हिम केयर से मिल पाय । एक ट्रांसप्लांट का खर्चा चार से पाँच लाख आ जाता है ।
बोन मैरो ट्रांसप्लांट, जिसे अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण भी कहा जाता है, कैंसर के मरीजों के लिए तब किया जाता है जब कीमोथेरेपी या विकिरण के उच्च खुराक के कारण अस्थि मज्जा क्षतिग्रस्त हो जाता है या काम करना बंद कर देता है। इसका उपयोग ब्लड कैंसर जैसे ल्यूकेमिया, लिम्फोमा और मल्टीपल मायलोमा के इलाज के लिए किया जाता है। इसके अलावा, यह अप्लास्टिक एनीमिया और थैलेसीमिया जैसी स्थितियों में भी उपयोगी हो सकता है।




