Exclusive : वैक्सीन के नाम पर व्यवस्था परिवर्तन का दम भरने वाली राज्य सरकार का एक और अजीबो ग़रीब कारनामा
सरकारी कर्मचारियों को 10850 रूपये प्रति डोज़ की विदेशी वैक्सीन की अदायगी को मंजूरी जितने पैसे में स्वदेशी वैक्सीन जो सरकार के लिए सिर्फ़ 200 से 400 रुपए में उपलब्ध हो सकती है और 27 बेटियों को दी जा सकती है सिंगल डोज़

इतने ही पैसे में “स्वदेशी वैक्सीन” सरकार के लिए सिर्फ़ 200 से 400 रुपए में उपलब्ध हो सकती है और 27 बेटियों को दी जा सकती है सिंगल डोज़…
जी हां ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) त्वचा और जननांगों (genitals) के संपर्क से फैलता है। यह वायरस मुख्य रूप से यौन संपर्क के माध्यम से फैलता है और महिलाओं व पुरुषों दोनों को प्रभावित कर सकता है।
हाल ही में राज्य सरकार द्वारा सरकारी कर्मचारियों को अपनी 9 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को gardasil वैक्सीन जो बाज़ार में 10850 रुपए प्रति सिंगल डोज़ में उपलब्ध है उसके बिल रिंबर्समेंट की नोटिफिकेशन जारी की गई है जिसे के एक अमेरिकन कंपनी द्वारा बनाया गया है जबकि भारत में ही बनी स्वदेशी वैक्सीन cervavac जो के केन्द्र तथा राज्य सरकारों के लिए 200 से 400 रुपए प्रति सिंगल डोज़ में उपलब्ध है और कई राज्य सरकारें इसकी ख़रीद के टेंडर भी दे चुकी हैं।
ऐसे में राज्य सरकार का एक विशेष विदेशी वैक्सीन का नाम नोटिफिकेशन में मेंशन कर उसके रिंबर्समेंट के आदेश देना दुर्भाग्यपूर्ण है वह भी समाज के एक सशक्त वर्ग को जबकि केंद्र सरकार इसे 9 से 14 वर्ष की किशोरियों को अनिवार्य तौर पर इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम के तहत लाने की तैयारी में है ।



