राष्ट्रीय चित्रकला और मूर्तिकला शिविर का शिमला में उद्घाटन

ललित कला अकादमी, क्षेत्रीय केंद्र गढ़ी/शिमला ने भाषा, कला और संस्कृति विभाग, हिमाचल प्रदेश सरकार के सहयोग से आज शिमला के खूबसूरत नगर में राष्ट्रीय चित्रकला और मूर्तिकला शिविर का उद्द्घाटन किया। यह सात दिवसीय शिविर, जो शानदार हिमालय की गोद में आयोजित किया जा रहा है, 18 मार्च से 24 मार्च तक चलेगा।
उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष, सेवानिवृत आईपीएस कैप्टन रमेश्वर सिंह ठाकुर थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में हिमाचल प्रदेश सरकार के भाषा, कला और संस्कृति विभाग के निदेशक, डॉ. पंकज ललित (आईएएस) उपस्थित रहे। ललित कला अकादमी के उपाध्यक्ष और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के दृश्य कला विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. नंद लाल ठाकुर भी विशेष रूप से आमंत्रित थे और उन्होंने इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक दीप प्रज्वलन से हुई, जिसे मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने संयुक्त रूप से किया। इसके बाद डॉ. नंद लाल ठाकुर और श्री राजेश शर्मा, गढ़ी प्रभारी ने मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि का पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया और कृतज्ञता स्वरूप एक स्मृति चिन्ह भेट किया।
अपने स्वागत भाषण में डॉ. नंद लाल ठाकुर ने कला की परिवर्तनकारी शक्ति और ऐसे शिविरों की भूमिका पर प्रकाश डाला, जो रचनात्मकता और सहयोग को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने युवा कलाकारों के बीच कला को प्रोत्साहित करने के लिए अकादमी द्वारा उठाए गए कदमों का भी उल्लेख किया।
डॉ. पंकज ललित ने अपने संबोधन में युवा कलाकारों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर जोर दिया और अकादमी द्वारा स्थापित और उभरते कलाकारों को एक मंच पर लाने के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि हिमाचल को देवभूमि के रूप में जाना जाता है, जहां कांगड़ा की लघु चित्रकला, चंबा रुमाल, कुल्लू शॉल जैसी पारंपरिक कलाएं और हस्तशिल्प इस प्रदेश की पहचान हैं। उन्होंने ऐसे मंचों के माध्यम से सभी कलाकारों को अपनी रचनात्मकता प्रदर्शित करने के अवसर देने की आवश्यकता पर जोर दिया।
सभा को संबोधित करते हुए कैप्टन रमेश्वर सिंह ठाकुर ने ललित कला अकादमी और भाषा, कला और संस्कृति विभाग के प्रयासों की सराहना की, जिन्होंने कलाकारों को अभिव्यक्ति और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का मंच प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि हिमाचल न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि कला और सांस्कृतिक विरासत की समृद्धि के लिए भी जाना जाता है। कलाकार अपनी रचनाओं के माध्यम से उन भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं, जिन्हें आम आदमी आसानी से व्यक्त नहीं कर सकता। उन्होंने भारतीय कला और संस्कृति को संरक्षित और बढ़ावा देने के महत्व पर जोर दिया और कहा कि ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन अधिक बार किया जाना चाहिए।
इस शिविर में देशभर के 35 वरिष्ठ कलाकारों और शिमला के विभिन्न कला संस्थानों के लगभग 20 उभरते प्रतिभागियों ने भाग लिया। भाग लेने वाले सभी कलाकारों का गर्मजोशी से स्वागत किया गया और गणमान्य व्यक्तियों दद्वारा उन्हें एक स्वागत किट प्रदान की गई। इस शिविर के माध्यम से कलाकारों को अगले सात दिनों तक रचनात्मक खोज और विचारों के आदान-प्रदान का एक अनूठा मंच मिलेगा।
कार्यक्रम का समापन उत्साह और रचनात्मक कार्यों की प्रतीक्षा के साथ हुआ, जो इस कलात्मक मनोवृत्ति के मिलन से उभरेंगे। राष्ट्रीय चित्रकला और मूर्तिकला शिविर कला और संस्कृति को एक जीवंत उत्सव साबित होगा, जो देश की रचनात्मकता की जड़ों को और मजबूत करेगा। सभी कलाकारों द्वारा तैयार किए गए कार्यों की प्रदर्शनी ललित कला अकादमी, गैटी कॉम्प्लेक्स में लगाई जाएगी।

