पशुओं में ब्रुसेलोसिस, टीबी और फुट एंड माउथ डिजीज जैसी बीमारियों से बचाव के लिए नियमित टीकाकरण और स्वास्थ्य जांच आवश्यक है

राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के अवसर पर पशु पालन विभाग द्वारा आयोजित जागरूकता शिविर में डॉ विकास रांटा, डॉ हीना बहल, डॉ अक्षित और डॉ ऐश्वर्या ने पशु पालकों को पशुओं को बीमारी से बचाने के बारे में जानकारी दी।
इस शिविर में डॉ विकास रांटा ने बताया कि पशुओं में ब्रुसेलोसिस, टीबी और फुट एंड माउथ डिजीज जैसी बीमारियों से बचाव के लिए नियमित टीकाकरण और स्वास्थ्य जांच आवश्यक है।
डॉ हीना बहल ने पशुओं में पोषण संबंधी समस्याओं पर प्रकाश डाला और बताया कि पशुओं को संतुलित आहार देने से उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है।
डॉ ऋषभ ने बताया कि पशुओं में बीमारियों की रोकथाम के लिए स्वच्छता और स्वच्छ पानी की उपलब्धता बहुत महत्वपूर्ण है।
डॉ ऐश्वर्या ने पशुओं में मानसिक स्वास्थ्य के महत्व पर प्रकाश डाला और बताया कि पशुओं को तनावमुक्त और सुखद वातावरण प्रदान करने से उनकी उत्पादकता में सुधार होता है।
इस शिविर में पशु पालकों को पशुओं की देखभाल और स्वास्थ्य संबंधी जानकारी प्रदान की गई और उन्हें अपने पशुओं की बेहतर देखभाल के लिए प्रेरित किया गया।
*क्यों मनाया जाता हैं राष्ट्रीय दुग्ध दिवस*
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस हर साल 26 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिन डॉ. वर्गीज कुरियन के सम्मान में मनाया जाता है, जिन्हें भारत के “श्वेत क्रांति के जनक” के रूप में जाना जाता है। डॉ. कुरियन ने ऑपरेशन फ्लड के जरिए भारत को दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
डॉ. वर्गीज कुरियन का जन्म 26 नवंबर 1921 को केरल के कोझिकोड में हुआ था। उन्होंने लॉयला कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और चेन्नई के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से डिग्री हासिल की। डॉ. कुरियन ने भारत के डेयरी उद्योग में महत्वपूर्ण योगदान दिया और उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें रैमन मैग्सेसे पुरस्कार, पद्म विभूषण और वर्ल्ड फूड प्राइज शामिल हैं। ¹
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस का उद्देश्य डेयरी उद्योग में डॉ. कुरियन के योगदान को याद करना और दूध उत्पादन के महत्व को बढ़ावा देना है। यह दिन भारतीय डेयरी उद्योग के विकास और देश के किसानों की भूमिका को उजागर करने का अवसर भी प्रदान करता है।




