आरएमएस चैल के शताब्दी समारोह का ‘अल्ट्रा मैराथन’ से भव्य आगाज

देश के सबसे पुराने सैन्य विद्यालय, राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल, चैल (आरएमएस, चैल) के शताब्दी समारोह की शुरुआत 242 किलोमीटर की एक अल्ट्रा मैराथन से हुई, जो जालंधर से चैल के वर्तमान स्थान, हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले तक आयोजित की जा रही है। इस मैराथन का शुभारंभ जालंधर के ऐतिहासिक स्थल से वज्र कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी), लेफ्टिनेंट जनरल अजय चांदपुरिया ने किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में जॉर्जियन्स उपस्थित थे,
जो किंग जॉर्ज के रॉयल इंडियन मिलिट्री कॉलेज/राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल के पूर्व छात्रों के लिए सशस्त्र बलों में एक लोकप्रिय नाम है।
लेफ्टिनेंट जनरल चांदपुरिया ने रनर्स और विद्यालय के पूर्व छात्रों को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल, चैल को राष्ट्र की सेवा में 100 वर्षों की इस अविस्मरणीय यात्रा के लिए बधाई दी और विद्यालय को भारतीय सशस्त्र बलों के लिए भावी पीढ़ियों को प्रेरित करने में निरंतर सफलता की शुभकामनाएं दीं। विद्यालय के प्रधानाचार्य विमल कुमार गंगवाल जैन ने भी अल्ट्रा रन की सफल समापन की कामना की।
यह अल्ट्रा मैराथन बालाचौर, पिंजौर और सोलन होते हुए दुनिया के सबसे ऊंचे क्रिकेट मैदान पर समाप्त होगी, जो 7000 फीट की ऊंचाई पर चैल में स्थित है। विद्यालय का नाम बदलकर राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल, चैल 25 जून 2007 को रखा गया और यहां कैडेट्स को रक्षा सेवाओं में अधिकारी बनने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।
इस विद्यालय की स्थापना 1925 में किंग जॉर्ज के रॉयल इंडियन मिलिट्री कॉलेज (केजीआरआईएमसी) के रूप में जालंधर कैंट में की गई थी, जिसका एक सह-विद्यालय झेलम (अब पाकिस्तान में) में था। प्रथम विश्व युद्ध के बाद किंग जॉर्ज पंचम के देशभक्ति कोष से ₹2.5 लाख की उदार राशि के दान से इनकी स्थापना हुई। विद्यालय का शिलान्यास फरवरी 1922 में तत्कालीन वेल्स के प्रिंस द्वारा किया गया था और यह 15 सितंबर 1925 से संचालित होने लगा। इस संस्थान को अगस्त 1952 में किंग जॉर्ज स्कूल नाम देकर नौगोंग में स्थानांतरित किया गया, जहां इसे अस्थायी रूप से पुरानी किचनर कॉलेज की इमारतों में रखा गया।
1 जनवरी 1966 को विद्यालय का नाम बदलकर चैल मिलिट्री स्कूल किया गया और 1966 में इसे मिलिट्री स्कूल चैल के नाम से जाना जाने लगा। अब यह विद्यालय 25 जून 2007 से राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल, चैल के रूप में प्रसिद्ध है। यहां कैडेट्स को रक्षा सेवाओं में प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के साथ-साथ केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, नई दिल्ली के तहत वरिष्ठ विद्यालय प्रमाणपत्र शिक्षा (10+2) योजना की पढ़ाई भी कराई जाती है।
विद्यालय के प्रतिष्ठित पूर्व छात्रों में परमवीर चक्र से सम्मानित कैप्टन जीएस सलारिया (मरणोपरांत), मिलिट्री क्रॉस विजेता मेजर जनरल सिरी कांत कोरला, महावीर चक्र, वीर चक्र और कीर्ति चक्र विजेता लेफ्टिनेंट जनरल जोगिंदर सिंह घरया, महावीर चक्र विजेता ब्रिगेडियर राय सिंह, लेफ्टिनेंट जनरल रणजीत दयाल और लेफ्टिनेंट जनरल आनंद सरूप शामिल हैं। इसके अलावा, कई पूर्व छात्र कीर्ति चक्र, वीर चक्र और शौर्य चक्र से सम्मानित हैं।
सशस्त्र बलों के अलावा, विद्यालय के पूर्व छात्रों ने राज्यपाल और उप-राज्यपाल जैसे संवैधानिक पदों पर भी अपनी पहचान बनाई है। इसके पूर्व छात्रों ने पर्वतारोहण, चिकित्सा, इंजीनियरिंग, उद्यमिता, मीडिया, व्यापार, कानून और प्रशासनिक क्षेत्रों में भी अपनी पहचान स्थापित की है।


