
भारतीय चिकित्सा पद्धति सहस्राब्दी पुरानी है और यह समग्र स्वास्थ्य प्रदान करती है। स्वास्थ्य प्रतिमान में परिवर्तन ने पिछले कुछ वर्षों में आयुष प्रणालियों (अर्थात् आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी) में सबकी रुचि एक बार फिर से बहुत बढ़ी है। स्वास्थ्य देखभाल में बहुलवादी दृष्टिकोण के प्रोत्साहन से तथा राज्य के संरक्षण ने सभी को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की दिशा में आयुष की प्रगति को बल दिया है। अपनी मूल शक्तियों को बनाए रखते हुए, आयुष ट्रांसडिसिप्लिनरी और ट्रांसलेशनल दृष्टिकोण के साथ नैदानिक साक्ष्यों को उजागर कर रहा है। 2014 में स्थापित आयुष मंत्रालय ने माननीय प्रधान मंत्री के ‘नए भारत’ के दृष्टिकोण को साकार करने में आयुष की भूमिका को बढ़ाया है।
फार्माकोपिया जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में हो रहे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय सहयोग भारतीय पारंपरिक स्वास्थ्य प्रणालियों की तेज़ी से बढ़ती स्वीकृति का संकेत है। यह समूचे आयुष क्षेत्र को एकाधिक तरीकों से प्रभावित करने वाला है। फार्माकोपिया कमीशन फॉर इंडियन मेडिसिन एण्ड होम्योपैथी (पीसीआईएमएच) और अमेरिकन हर्बल फार्माकोपोइया (एएचपी) के बीच हाल ही में हुए करार (एमओयू) से इसकी पुष्टि होती है।
ऐसी ही अनेक प्रमुख प्रमुख पहलों में कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में आयुष की भूमिका शामिल है। आयुष मंत्रालय ने महामारी के प्रभाव को कम करने में आयुष प्रणालियों की क्षमता का दोहन करते हुए कई अनुसंधान एवं विकास तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी पहलें की हैं। सरकार ने प्रतिरक्षा में सुधार के उपायों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने और आम जनता के लिए आसानी से सुलभ घरेलू उपचार की सलाह देने के लिए ‘आयुष फॉर इम्युनिटी’ जैसे विभिन्न दिशानिर्देश, सलाह और अभियान शुरू किए हैं। अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, नई दिल्ली जैसे संस्थानों को आयुष दिशानिर्देशों के अनुसार कोविड-19 के हल्के से मध्यम मामलों के प्रबंधन के लिए समर्पित कोविड स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया । मंत्रालय ने आयुष पर साक्ष्य-आधारित अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए कई संगठनों के साथ साझेदारी की। मंत्रालय ने आईसीएमआर, डीबीटी, सीएसआईआर, एम्स सहित प्रमुख संगठनों के वैज्ञानिकों, पल्मोनोलॉजिस्ट, महामारी विज्ञानियों, फार्माकोलॉजिस्ट आदि से मिलकर एक अंतर-अनुशासनात्मक आयुष आर एंड डी टास्क फोर्स का गठन किया और “कोविड-19 के प्रबंधन के लिए आयुर्वेद और योग पर राष्ट्रीय नैदानिक प्रबंधन प्रोटोकॉल” जारी किया।
देश भर के 152 केंद्रों पर कोविड-19 में 127 से अधिक शोध अध्ययन शुरू किए गए। इनमें से कुल 90 अध्ययन पूरे हो चुके हैं, और 15 लेख प्रकाशित हो चुके हैं, जबकि 20 प्रीप्रिंट भी प्रकाशित हो चुके हैं




