असर संपादकीय: एक बड़ी चोट 4 जून को आये लोक सभा चुनाव परिणाम में स्पष्ट दिखाई दे रही है
जगदीप सिंधु की कलम से..

पिछले कुछ वर्षों में आम जनमानस के विरोध को अपराध बनाने की प्रवृत्ति को एक बड़ी चोट 4 जून को आये लोक सभा चुनाव परिणाम में स्पष्ट दिखाई दे रही है। लोकतंत्र को एकाधिकारवादी राजनीती का केंद्र बनाये जाने को देश के मतदताओं ने सिरे से ख़ारिज कर दिया है। इर्षा द्वेष नफरत पाखंड पर आधारित राजनीति के विपरीत समाजिक आर्थिंक समानता मूलक राजनितिक दृष्टिकोण में देश के मतदाताओं ने पुनः पूर्ण विश्वास व्यक्त किया है। देश में परिवर्तन की अलख अभी जिन्दा है जिन्दा रहेगी ये देश के मतदाताओं ने जता दिया है। केवल तुच्छ लाभ के आसरे अनुयायी बनाने को नकार दिया गया है। दमनकारी नीतियों द्वारा अधिकारों व न्याय से वंचित किए जाने को देश स्वीकार करने को कभी तैयार नहीं होगा ये स्पष्ट संदेश इन परिणामों से उभरा है।
हरियाणा प्रदेश ने स्पष्ट और सशक्त आवाज में अपना जनादेश देश के सामने रखा है। 2014 2019 में भाजपा एकतरफा जीत हासिल करके जिस तरह सत्ताधारी भाजपा ने हरियाणा प्रदेश को हांकने की कोशिशें की एकाधिकार स्थापित करने के प्रयास किये सामाजिक विभाजन को हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया उनके मंसूबों को इन चुनावों में प्रदेश की जनता ने 10 में से 5 सीटों पर हरा कर जमीन सुंघा दी है । क्षेत्रीय दल ई ने लो जजपा द्वारा प्रदेश के हितों का राजनीतिक सौदा करने की राजनीति को पूर्णतया दफन कर दिया। इन क्षत्रिय दलों द्वारा राजनीतिक विरासत को अपनी जागीर समझ लेने के गुमान को प्रदेश की जनता ने नकार दिया। 1. 74 % वोट इनेलो को मिले जबकि 0. 87 % के लगभग वोट जजपा प्राप्त कर सकी जिसके चलते इनके अस्तित्व का ही संकट पैदा हो गया है।
भाजपा को 5 सीटों पर हार मिली है। हरियाणा की दोनों सुरक्षित सीटों पर कांग्रेस ने जीत प्राप्त की है। सिरसा सुरक्षित से कांग्रेस की दिग्गज नेता कुमारी शैलजा ने भाजपा के अशोक तंवर को 2 लाख 68 हजार लगभग वोटों से हराया है। अनुसूचित जाति ग्रामीण और किसान वर्ग का बड़ा समर्थन साफ तौर पर इस सीट पर कांग्रेस के पक्ष में गया है। अशोक तंवर को अपने चुनाव प्रचार के दौरान गांव में घुसने नहीं दिया गया था किसानो द्वारा जगह जगह भारी विरोध किया था। भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह और हिंदुत्व के ध्वजाहक योगी आदित्यनाथ की चुनावी सभाएं भी यहां भाजपा को जीत दिलाने पूरी तरह असफल साबित हुयी।
अम्बाला सुरक्षित सीट से वरुण मुलाना को जीत मिली है। कांग्रेस के वरुण मुलाना ने भाजपा के दिवंगत सांसद रत्न लाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया को 49036 वोटों से शिकस्त दी। किसान आंदोलन का गढ़ माने जाने वाले अम्बाला ने भाजपा के प्रधान प्रचारक नरेंद्र मोदी की चुनावी रैली में दिखाए गए सपनों को पूरी तरह से नकार दिया। प्रदेश में मुख्यमंत्री बदल कर नए लाये गए मुख्यमंत्री नायब सैनी जो इसी क्षेत्र से हैं भी भाजपा के उम्मीदवार को जीत नहीं दिला पाए।
जाटों के गढ़ में हिसार रोहतक सोनीपत की सीटों पर कांग्रेस के जयप्रकश दपेंदर हुडा सतपाल महराज जीते हैं।
हिसार की सीट पर कांग्रेस के जयप्रकाश ने 63381 वोटों से भाजपा के प्रत्याशी रणजीत सिंह चौटाला को मात दी है। 20 साल बाद ये सीट कांग्रेस ने दुबारा हासिल की है। जयप्रकाश हिसार से चौथी बार सांसद बने हैं। चुनाव से कुछ समय पहले हिसार की लोकसभा सीट से ही भाजपा के सांसद बृजेन्द्र सिंह ने लोकसभा से त्यागपत्र दे कर भाजपा पार्टी को अलविदा कहा था। हरियाणा के पूर्व में जजपा से उपमुख्यमंत्री रहे दुष्यंत चौटाला की माता नैना चौटाला की यहाँ जमानत जब्त हो गयी है। वही इनेलो से चौटाला परिवार की एक और बहु भी अपनी जमानत गँवा बैठी।
रोहतक से अबकी बार दीपेंद्र हुडा ने बाज़ी मार ली। 272380 मतों से भाजपा के डॉ अरविन्द शर्मा की हार हुयी है। अबकी बार दीपेंद्र को इस लोक सभा क्षेत्र में 62.8 % वोट मिले हैं। भाजपा की करारी हार यहां हुई है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंदर सिंह हुड्डा के गढ़ को बचने में दीपेंदर कामयाब रहे। पिछली बार दीपेंदर हूडा को केवल 6 हजार के लगभग मतों से हर झेलनी पड़ी थी।
सोनीपत की सीट पर हुडा गुट के ही कांग्रेस प्रत्याशी सतपाल महराज को कड़े मुकाबले में जीत मिली है। भाजपा के मोहन लाल बड़ोली भाजपा के भरपूर समर्थन के बाद भी यहाँ जीत नहीं सके। किसानों के आंदोलन का गढ़ कहे जानेवाली इस सीट पर भाजपा को हार मिलना प्रदेश की सियसत के मिज़ाज़ को साफ तौर पर दर्शाता है।
कुरुक्षेत्र से आदमी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार सुशील गुप्ता भाजपा में आयातित नवीन जिंदल से 29201 मतों से हार गए जहाँ पर इनेलो के प्रत्याशी अभय सिंह चौटाला ने भी चुनाव लड़ा और मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया था। नवीन जिंदल को 542175 ( 45 %) सुशील गुप्ता को 513154 (42. 6 %) इनेलो के अभय सिंह चौटाला को 78708 (6.5 %) वोट मिले। नवीन जिंदल तीसरी बार यहां से संसद चुने गए हैं। पहले दो बार कांग्रेस की टिकट पर नवीन जिंदल यहाँ से सांसद रह चुके हैं।
करनाल की लोक सभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खटटर चुनाव जीतने में सफल तो हुए लेकिन भाजपा के पिछले चुनावों में जीत के अंतर के करीब नहीं पहुँच सके। गुरुग्राम सीट पर अपेक्षा के अनुरूप ही भाजपा को जीत मिली है। गुरुग्राम में कांग्रेस के प्रत्याशी फिल्म अभिनेता राज बब्बर भाजपा से तीसरी बार सांसद का चुनाव लड़ रहे राव इंद्रजीत से हार गए है।
सत्ताधारी भाजपा प्रदेश में फिर से 10 सीटों को अपने कब्जे में लेने की योजना पर काम कर रही थी। प्रदेश में चुनाव से ऐन पहले मुख्यमंत्री बदल कर प्रदेश सरकार के प्रति लोगों की नाराजगी से ध्यान हटाने के किये गए प्रयास पूरी तरह विफल हो गए। सरकारी नौकरियों में खली पड़े 2 लाख से अधिक पदों पर भर्ती न किये जाने , बार बार पेपर लीक और भर्तियों का कानूनी दायरों में उलझना बेरोजगार युवाओं के लिए कोई ठोस योजना प्रदेश में स्थापित न कर पाना किसानों की मांगों की उपेक्षा और बलपूर्वक उनके आंदोलन को कुचलना किसानों की फलसों के बीमा मुआवजे प्राकृतिक आपदाओं से फसलों के नुकसान की भरपाई में कोताही आशा कर्चारियों की वेतन विसंगतियां मनरेगा के तहत काम व् मानदेय के घपलों का समाधान नहीं करना महिला खिलाडी और पहलवान बेटियों की आबरू से खिलवाड़ के आंदोलन के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं करना भष्टाचार का व्यापक होना मंहगाई जैसे मुद्दों को गंभीरता से न ले कर केवल विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के खोखले सपनो और छद्म विकास के मरीचिका को ही वास्तिवकता बनाने स्वीकार करवाने में जुटी भाजपा सरकार के विरोध में ये जनदेश है। जनविरोधी नीतियों की असफलता इन चुनावों में जनता ने उजागर कर दी है । अग्निवीर योजना का दंश भी प्रदेश में कुछ महीनों बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को भुगतना बाकी है।




