छात्रों की विभिन्न समस्याओं को लेकर महाविद्यालय में 24 घंटे की सांकेतिक हड़ताल

आज एस एफ आई कोटशेरा इकाई द्वारा छात्रों की विभिन्न समस्याओं को लेकर महाविद्यालय में 24 घंटे की सांकेतिक हड़ताल की।
एसएफआई ने निम्नलिखित मांगों को लेकर कैंपस में हड़ताल एवं प्रदर्शन किया :-
⚫ छात्रों को हॉस्टल की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
⭕घटिया इआरपी प्रणाली को जल्द से जल्द सुदृढ़ किया जाए
🔵री अपीयर के अधूरे परिणाम को जल्द से जल्द घोषित किया जाए
🔘PTA फीस के नाम पर छात्रों को लूटना नहीं चलेगा।
⚪छात्रों का जनवादी अधिकार SCA चुनाव जल्द से जल्द बहाल किया जाए।
एस एफ आई कोटशेरा इकाई अध्यक्ष पवन कुमार ने कहा कि एस एफ आई बीते 20 वर्षों से हॉस्टल के लिए संघर्ष कर रही है लेकिन अभी तक प्रशासन व सरकार के तंत्र द्वारा छात्रों की मूलभूत आवश्यकता हॉस्टल की सुविधा उपलब्ध नहीं कर गई है। 2014 में हॉस्टल निर्माण कार्य के लिए फंड आ गया है। लेकिन कॉलेज प्रशासन द्वारा हमेशा ही हॉस्टल मुद्दे को लेकर छात्रों को गुमराह किया जाता है। प्रशासन का कहना है कि जमीन के अभाव के कारण हॉस्टल निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया है। इसीलिए एस एफ आई यह मांग करती है कि जल्द से जल्द भूमि का निरीक्षण कर छात्रों को हॉस्टल की सुविधा प्रदान की जाए। ताकि शिमला के अंदर किसी भी छात्र को दरबदर की ठोकरे ना खानी पड़े।
पवन कुमार ने अपनी बात को आगे रखते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में घटिया इआरपी प्रणाली के कारण हर वर्ष छात्रों के परिणाम घोषित करने में देरी हो रही है। जिसके कारण छात्रों की पढ़ाई के ऊपर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है साथ ही छात्र मानसिक तौर पर प्रताड़ित हो रहा है।
इसी इआरपी प्रणाली के तहत पिछले 1 वर्षों में यूजी के परीक्षा परिणाम घोषित नहीं हो पाए हैं। जिसके कारण छात्रों को अनेकों अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पढ़ रहा है। इसलिए हम यह मांग करते हैं हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में इआरपी प्रणाली को सुदृढ़ किया जाए ताकि छात्रों के वार्षिक परिणाम जल्द से जल्द घोषित हो व किसी भी छात्र के भविष्य के साथ खिलवाड़ ना हो।
कैंपस अध्यक्ष पवन कुमार कहना है कि महाविद्यालय में कई सारे घोटाले भी देखने को मिले हैं। जिसमें सबसे प्रमुख पीटीए फंड का घोटाला देखने को मिलता है। साल 2020-21 में जब कोरोना काल का समय था उस समय भी कॉलेज प्रशासन द्वारा छात्रों से 21 लाख 60,000₹ पीटीए फंड के नाम पर इकट्ठा किया गया। जिसका ब्योरा कॉलेज प्रशासन के पास कहीं भी नहीं है कि वो फंड कहां इस्तेमाल किया गया। हालांकि एस एफ आई द्वारा उस चीज पर आरटीआई भी लगाई गई जिसमें कई सारे घोटाले देखने को मिलते हैं और कहीं ना प्रशासन के ऊपर भी प्रश्नचिन्ह खड़े होते हैं। इसलिए असफा यह मांग करती है की किसी भी महाविद्यालय में छात्रों से PTA के नाम पर फीस न ली जाए
सचिव जनेश ने कहा कि 2014 के बाद छात्रों का जनवादी अधिकार छात्र संघ चुनाव पर सरकार द्वारा प्रतिबंध लगा दिया गया है। जिसके कारण प्रशासन व छात्र के बीच एक समाजस्य का रास्ता समाप्त हो गया है। परिणाम स्वरूप कैंपस में प्रशासन की तानाशाही देखने को मिलती है। लगातार फीस वृद्धि का सबसे बड़ा कारण भी छात्र संघ चुनाव का ना होना है। इसीलिए एसएफआई यह मांग करती हैं कि जल्द से जल्द छात्रों का जनवादी अधिकार छात्र संघ चुनाव को जल्द से जल्द बहाल किया जाए।
अंत में कैंपस सचिव जनेश जस्टा ने अपनी बात को समाप्त करते हुए कहा कि हम उम्मीद करते है कि इन तमाम समस्याओं को सरकार व प्रशासन द्वारा जल्द से जल्द समाधान किया जाएगा। वरना आने वाले समय में एस एफ आई में एक उग्र आंदोलन करेंगे जिसका जिम्मेदार कॉलेज प्रशासन व सरकार स्वयं होगी।



