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ग्रेटर शिमला क्षेत्र की जलापूर्ति योजना सेवाओं के लिए विश्व बैंक से 250 मिलियन डाॅलर का वित्तपोषण

 

शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि शिमला जलापूर्ति और मल निकासी परियोजना का उद्देश्य शिमला व साथ लगते क्षेत्रों में भविष्य में पानी की मांग को पूरा करना है। शहर को 67 एमएलडी अतिरिक्त पानी पहुंचाने के लिए यह परियोजना प्रस्तावित है। उन्होंने कहा कि यह योजना अगले 30 वर्षों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है, जिसकी सभी औपचारिकताएं शीघ्र पूरी कर दी जाएंगी। शिमला शहर के पांच वार्डों को दिसम्बर, 2021 तक सप्ताह भर 24 घण्टे पानी उपलब्ध होगा। यह पायलट परियोजना अन्तिम चरण में है।

 

उन्होंने कहा कि पिछले कल मंत्रिमण्डल के निर्णय से ग्रेटर शिमला क्षेत्र में जलापूर्ति योजना सेवाओं में सुधार के लिए शिमला जलापूर्ति एवं मल निकासी सेवा वितरण कार्यक्रम के वित्तपोषण के लिए विश्व बैंक के माध्य से 250 मिलियन डाॅलर (1813 करोड़ रुपये) का वित्तपोषण होगा।

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इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य वर्ष 2050 तक पानी की मांग को पूरा करने के लिए सतलुज नदी से अतिरिक्त 67 एमएलडी के साथ शिमला जलापूर्ति में संवर्धन, विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण कुफरी, शोघी, घणहाट्टी और अतिरिक्त योजना क्षेत्र के लिए वर्ष 2050 तक शिमला नगर निगम क्षेत्र में सभी घरेलू और व्यवसायी उपभोक्ताओं के लिए सप्ताह भर 24 घण्टे जलापूर्ति और शिमला नगर निगम मंे बेहतर मल निकासी सेवाएं प्रदान करना है।

 

इस परियोजना में शिमला जिले की सुन्नी तहसील के शकरोड़ी गांव के पास सतलुज नदी से पानी उठाने की योजना बनाई गई है जिसमें संजौली में 1.6 किलोमीटर की ऊंचाई तक उठाने और 22 कि.मी की पाइप बिछाने से 67 एमएलडी पानी की वृद्धि शामिल है। इस परियोजना के अन्तर्गत नगर निगम शिमला में वितरण पाइप नेटवर्क को सप्ताह भर 24 घंटे जलापूर्ति प्रणाली में स्तरोनन्त करने का भी प्रावधान है। इसके अतिरिक्त, शिमला के मैहली, पंथाघाटी, टूटू और मशोबरा क्षेत्रों में मल निकासी प्रणाली प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए पहले से ही कार्य का आबंटन किया जा चुका है।

Deepika Sharma

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