EXCLUSIVE: हैरानी: ज़िला शिमला में मिले मात्र दस “आउट ऑफ़ स्कूल” बच्चे
सर्वे में लानी होगी गंभीरता, काउन्सलिंग भी ज़रूरी

ज़िला शिमला का ये आँकड़ा निःसंदेह हैरान कर देने वाला है की इस वर्ष अभी तक मात्र दस बच्चे ऐसे मिले है जो सभी अभी तक शिक्षा से नहीं जुड़े है । यानि कि “आउट ऑफ़ स्कूल “है।
लेकिन जानकारों की माने तो ये अकड़ा काफ़ी कम है, ये आँकड़ा पूरे ज़िला शिमला में बढ़ सकता है । एसा इसलिये भी है क्योंकि शिमला में मजदूरी करने हज़ारों मज़दूर आते है और साथ में उनके बच्चे भी वह साथ में लाते है। कई बंजारे भी शिमला आते है। कई बार इन बच्चों को भीख माँगते देखा गया है । पर्यटन नगरी होने के नाते इधर कई प्रवासी आते है।
नतीजा ये की इन बच्चों को ढूँढने की प्रक्रिया में ही तेज़ी नहीं लानी होगी बल्कि उनकी counselling में भी गंभीरता लानी ज़रूरी है।
फ़िलहाल कई एसी बेटियाँ है जो आगे पढ़ना तो चाहती है लेकिन घर की स्थिति इतनी बेहतर नहीं है कि वह आगे पढ़ पाय।
यही कहानी है तारदेवी की झुगग्गियों में रहने वाली आठ वर्षीय रचना की असर न्यूज़ को मिली है।

रचना कालका में पहले रहती थी लेकिन चंद पैसे कमाने के लिये रचना अपने रिश्तेदारों के पास तारदेवी शिमला आई है।
एसी ही कई लड़कियाँ झुग्गियों में रहती है। जो आगे पढ़ना चाहती है ।कालका में रचना दूसरी कक्षा में पढ़ती थी लेकिन जब से वह कालका से तारदेवी आई तब से उसने पढ़ना छोड़ दिया है।
अब वह कूड़ा बीनने के साथ साथ भी कभी भीख भी माँग रही है। वहीं उसके साथ एक और बेटी इसी है कि जो पाँचवीं पास है और आगे पढ़ना चाहती है। लेकिन उसके माता की मौत बीमारी से हो गई है और अब वह अपने पिता के साथ अब कूड़ा बीनने का काम करती है।
हालाँकि समग्र शिक्षा अभियान इस तरह के बच्चों को शिक्षा देने का काम बखूबी से कर रहा है लेकिन उम्मीद है की इस पर भी समग्र शिक्षा गंभीरता से काम करेगा। और इन बच्चों के परिवार में शिक्षा का दीपक जलाएगा।


