ख़ास ख़बर: हिमाचल में पहली शिक्षक-माँ” का आगाज़

माता-पिता बच्चों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सबसे अधिक सीखना बच्चों के पहले वर्षों में घर पर होता है। जब बच्चा बड़ा होता है, शिक्षक, समुदाय इत्यादि जैसे अन्य हितधारक भी बच्चे की शिक्षा की यात्रा का हिस्सा बनते हैं। बच्चे घर पर काफी समय बिताते हैं और इसलिए परिवार, खासकर मां, बच्चे की प्रारंभिक शिक्षा के समय में उसकी मुख्य शिक्षा हितधारक बनी रहती है। विशेषकर, माताएं इस सेगमेंट में बच्चों की प्रमुख देखभाल कर्ताएं होती हैं। इस प्रकार, उन्हें बच्चे के पहले शिक्षक भी माना जा सकता है।

अत: बच्चों के सर्वांगीण विकास में माताओं की अहम भूमिका को महत्व देते हुए, हिमाचल प्रदेश सरकार प्री-प्राइमरी कक्षाओं के लिए “ पहली शिक्षक-माँ” कार्यक्रम का विमोचन किया गया l इस कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत दिनांक 13 दिसम्बर, 2023 को हिमाचल प्रदेश के मुख्य संसदीय सचिव (शिक्षा) श्री. आशीष बुटेल द्वारा सुंदरनगर, जिला मंडी से की गयी l माननीय मुख्य अतिथि ने पहले अध्यापकों द्वारा लगाये गए प्री-प्राइमरी से सम्बंधित अलग-अलग स्टालों का अवलोकन किया |उन्होंने समग्र शिक्षा द्वारा चलाई जा रही इस अनूठी पहल की प्रशंसा की |उन्होंने सभी अभिभावकों से इस कार्यक्रम से फायदा उठाने की अपील की |
श्री राजेश शर्मा जी, राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा हिमाचल प्रदेश के कुशल नेतृत्व में इस कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया | इस कार्यक्रम में प्रदेश के सभी 12 जिलों में से लगभग 600 माताओं, अध्यापकों, व् अन्य गणमान्य लोगों ने भाग लिया | हिमाचल प्रदेश समग्र शिक्षा की प्री-प्राइमरी को कामयाब और इसमें माताओं द्वारा बच्चों की शिक्षा में अहम भूमिका सुनिश्चित करने के लिए एक अनूठी पहल है |
श्री दिलीप कुमार वर्मा, राज्य प्री-प्राइमरी समन्वयक ने बताया कि इस कार्यक्रम के दौरान दो पुस्तकों, “सीखें और सिखाएं, पहली शिक्षक–माँ(माताओं के लिए गतिविधि पुस्तिका)” का भी विमोचन किया गया |उन्होंने अब तक हिमाचल प्रदेश में प्री-प्राइमरी की यात्रा के बारे में सभी को विस्तारपूर्वक बताया | उन्होंने इस कार्यक्रम के सफल आयोजन पर सभी माताओं, शिक्षकों और डाइट मंडी के सभी शिक्षकों और 12 जिलों के प्री-प्राइमरी समन्वयको का धन्यवाद किया |
इस कार्यक्रम के मुख्य उदेश्यों में माताओं को बच्चों के साथ घर में विकासात्मक गतिविधियाँ करने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए सक्षम बनाना, माताओं को बच्चों की देखभाल जैसे स्वास्थ्य, कल्याण, सुरक्षा और पोषण संबंधी आवश्यकतायों के लिए जागरूक बनाना तथा स्कूल में शुरुआती वर्षों का वातावरण बनाने के लिए शिक्षकों की सहायता करने के लिए माताओं को सक्षम बनाना शामिल हैl
कार्यक्रम के तीन पहलू हैं, जिनमे विद्यालय स्तर पर माताओं के साथ प्री- प्राइमरी से सम्बन्धित गतिविधियों पर मासिक बैठकें, माताओं द्वारा बच्चों को घर पर गतिविधियां कराने के लिए पाठ्य सामग्री की व्यवस्था, घर पर शारीरिक, सामाजिक व भावनात्मक, भाषा व सृजनात्मक गतिविधियांकराने के लिए डिजिटल माध्यम से संप्ताहिक व्हाट्सएप संदेश तथा माताओं के साथ प्रारम्भिक शिक्षा और बच्चों की देखभाल सम्बंधित वेबिनार शामिल हैं l
इस कार्यक्रम में प्रदेश भर से प्री प्राइमरी कार्यक्रम के जिला समन्वयक,प्री-प्राइमरी कार्यक्रम कोर ग्रुप सदस्य, ब्लाक एलीमेंट्री एजुकेशन अधिकारी, केंद्र मुख्य शिक्षक, हर जिला से चुनिन्दा प्री-प्राइमरी में अधीनस्थ बच्चों की माताएं, शिक्षक इत्यादि शामिल हुए l
इसके अतिरिक्त प्रदेश के 6031 प्री-प्राइमरी कक्षाओं में शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चों की माताएं तथा सम्बंधित स्कूल के अध्यापक भी वर्चुअल माध्यम से शामिल हुए l


