शिक्षा से मेरा अभिप्राय बालक तथा मनुष्य में निहित शारीरिक, मानसिक एवं आत्मिक श्रेष्ठतम शक्तियों का अधिकतम विकास है। महात्मा गांधी
निशा प्रिंसिपल GSSS बियोलिया शिमला की कलम से

विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए उसमें शारीरिक तथा मानसिक क्षमताओं का विकास करना और बच्चों को आदर्श तथा आत्मनिर्भर बनाना इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए आज प्रदेश के सरकारी स्कूल अपनी मंजिल को पाने के लिए काफी प्रयासरत है।
नई दुनिया के निर्माण के लिए शिक्षा भी नई प्रकार की होनी चाहिए। आज के इस आधुनिक दौर में हमारे सरकारी विद्यालयों में सभी आधुनिक सुविधाएं मौजूद है। स्कूलों में सीसीटीवी, वाटर कूलर, अत्याधुनिक खेल के मैदान, विज्ञान प्रयोगशालाएं, पुस्तकालय, कंप्यूटर लैब है। लगभग अब सभी सरकारी स्कूलों में स्मार्ट क्लासेज भी शुरू हो चुकी है। अध्यापकों को भी समय-समय पर ट्रेनिंग करवाई जाती है ताकि वे शिक्षा की नई प्रणाली से परिचित हो सकें। खेलकूद प्रतियोगिताएं, मैथ्स एंड साइंस ओलंपियाड तथा विज्ञान मेलों का आयोजन किया जाता है जिससे विद्यार्थी में बौद्धिक और तार्किक क्षमता का विकास हो।
गरीब से गरीब परिवार भी सरकारी स्कूलों का खर्च आराम से उठा सकते हैं। मुफ्त व जरूरी शिक्षा के तहत इन स्कूलों में पोषक मध्याह्न भोजन योजना, मुफ्त वर्दी , वर्दी की सिलाई व किताबें भी बच्चों को दी जाती है। एनएसएस तथा एनसीसी जैसी योजनाएं बच्चों के उज्जवल भविष्य को ध्यान में रखते हुए चलाई जा रही है
अक्सर देखा गया है कि एक प्राइवेट स्कूल में पहले से तैयार बच्चा दाखिला लेता है जिसके माता-पिता शिक्षित, नौकरी पेशा या व्यवसायी होते हैं। ऐसे बच्चे को पहले से ही काफी सुविधाएं उपलब्ध है जबकि सरकारी स्कूलों में ज्यादातर विद्यार्थी ऐसे परिवेश से आते हैं जहां सामाजिक व आर्थिक परिस्थितियां बेहद खराब हुआ तनावपूर्ण होती है। यहां एक सरकारी अध्यापक का काम और ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो जाता है। न केवल बच्चों को अच्छी शिक्षा देनी होती है बल्कि सर्वप्रथम ऐसे बच्चों के मनोभावों को जानते हुए इनकी मानसिक परेशानियों को भी सुलझाना पड़ता है। यह भी देखा गया है कि खराब आर्थिकी के चलते यह बच्चे स्कूलों से काफी दिनों तक गायब रहते हैं या तो यह कहीं मजदूरी करने चले जाते हैं या स्कूल में पढ़ाई करने से कतराते हैं। ऐसे में सरकारी शिक्षक का यह फर्ज भी बनता है कि वह इन बच्चों के साथ सहज रिश्ता रखें ताकि बच्चे खुशी-खुशी स्कूल आए और स्कूल के अच्छे माहौल में रोजाना कुछ ना कुछ नया सीखे।
आज कई अभिभावक प्राइवेट स्कूलों की फीस में बेतहाशा वृद्धि से नाराज होकर सरकारी स्कूलों का रुख कर रहे हैं अंग्रेजी माध्यम शिक्षा की मांग में वृद्धि हुई है और ग्रामीण क्षेत्रों में माता-पिता अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजने के लिए तैयार है यदि वहां अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई हो तो।
बहुत से सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई शुरू हो चुकी है और अब नई शिक्षा नीति 2020 के तहत थ्री लैंग्वेज फॉर्मूला पर भी बल दिया जाएगा जिसमें हिंदी व अंग्रेजी के साथ साथ मातृभाषा में भी बच्चों की पढ़ाई जाएगी ताकि बच्चा अपनी संस्कृति के साथ भी जुड़ा रहे और शिक्षा ग्रहण करते समय भाषा के कारण बहुत ज्यादा तनाव ना महसूस करें।…. और अगर मैं अपने पूरे व्याख्यान का निचोड़ निकालना चाहूं तो स्वामी विवेकानंद के शब्दों के साथ अपनी बात को विराम देना चाहूंगी कि हमें ऐसी शिक्षा चाहिए जिससे चरित्र का निर्माण हो ,मन की शांति बढ़े ,बुद्धि का विकास हो और मनुष्य अपने पैरों पर खड़ा हो सके।निसंदेह एक अच्छे राष्ट्र का निर्माण व विकास तभी संभव है जब अध्यापक, अभिभावक व सरकार अपने मिले-जुले प्रयासों से विद्यार्थी के जीवन को अज्ञान से ज्ञान तथा अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाए।
Nisha Bhaluni
Principal GSSS Beolia
Shimla 13


