पर्यावरण

झुंड के साथ चलने वाले वास्तविक चरवाहों की पहचान करने के निर्देश

प्रदेश में आठ चरागाह मार्गों को किया गया डिजिटाइजः वन मंत्री

 

वन मंत्री राकेश पठानिया ने आज  चराई सलाहकार पुनर्वलोकन समिति की 47वीं बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार समाज के प्रत्येक वर्ग, विशेषकर राज्य के चरवाहों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है, क्योंकि चराई हमारी प्राचीन समृद्ध संस्कृति का प्रतिबिम्ब है और इसे संजोए रखना आवश्यक है।

 

बैठक के दौरान वन मंत्री ने चरवाहों के वन विभाग से संबंधित मुद्दों की समीक्षा की और उनके द्वारा उठाई गई उचित मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया। उन्होंने झुंड के साथ चलने वाले वास्तविक चरवाहों की पहचान करने के निर्देश दिए ताकि उनके पशुधन को चोरी होने से बचाया जा सके। इनके लिए सलीपिंग बैग के साथ सोलर मोबाइल चार्जर और कम भार वाले टेंटों का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि चराई परमिट की समय अवधि को तीन वर्ष से बढ़ाकर छः वर्ष करने के प्रयास किए जाएंगे।

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वन मंत्री ने अधिकारियों को चरवाहों की व्यापक आवाजाही वाले मार्गों की पहचान करने और उनकी सुविधा के लिए मार्गों को डिजिटाईज करने के निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों को चरवाहों पर निगरानी रखने के निर्देश दिए ताकि संकट के समय उन्हें आवश्यक सहायता प्रदान की जा सके। उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों को चरवाहों की सुविधा के लिए वन भूमि में छः स्थलों की पहचान कर उन पर बुनियादी ढांचा विकसित करने के निर्देश दिए।

 

इस अवसर पर वूल फेडरेशन के अध्यक्ष त्रिलोक कपूर ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

 

प्रधान मुख्य अरण्यपाल वन डाॅ. सविता ने इस अवसर पर वन मंत्री और अन्य गणमान्य लोगों का स्वागत किया। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा चरवाहों के उत्थान के लिए चलाई जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि राज्य के आठ चरागाह मार्गों को डिजिटाइज कर दिया गया है और शेष को डिजिटाइज करने के प्रयास किए जा रहे हंै।

 

बैठक में प्रधान सचिव वन रजनीश, पीसीसीएफ वन्यजीव अर्चना, पीसीसीएफ प्रबंधन राजीव कुमार, विभाग के वरिष्ठ अधिकारी और समिति के गैर-सरकारी सदस्य भी उपस्थित थे।

Deepika Sharma

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