विशेष

खास खबर:बेसहारे गोवंश के लिए आने वाली सर्दी अत्यंत दुख:द

 

 

बेसहारा गोवंश हिमाचल प्रदेश की सड़कों में भीषण सर्दी मैं मरने के लिए मजबूर हो रही है। सड़कों में ठिठुर रहे इन बेजुबान पशुओं को जहां लोग सड़कों पर छोड़ रहे हैं वह सरकारी दावे खोखले साबित हो रहे हैं। सर्दी के मौसम में इन पशुओं को सड़कों पर खाने के लिए अत्यंत दुख:द मौत का सामना करना पड़ता है। सर्दियां पड़ने पर यह पशु किसानों के खेतों में फसलों का अधिक नुकसान करते हैं।

सरकारी प्रयत्न बेसहारा गोवंश के समाधान लिए इन्हें भाग्य पर छोड़ने को मजबूर प्रतीत होते हैं। स्वयं सेवी संगठन (एन .जी.ओ.) हिम गो संरक्षण समिति के द्वारा अपने स्तर पर इन बेसहारा गोवंश के लिए किए गये प्रयत्न अधिक सार्थक प्रतीत हो रहे हैं।

वर्ष 2020 डॉ राजेंद्र अत्री ने बेसहारा गोवंश के लिए एक की एन.जी.ओ की स्थापना की।हिम गो संरक्षण समिति के मुताबिक

“हिम गो संरक्षण समिति” ने अपने स्तर पर डॉ. यशवंत सिंह परमार गोसदन (आरण्यक) की स्थापना अपनी व्यक्तिगत पूंजी लगाकर की थी। यहां गोसदन पटेणा ,उप -तहसील पझौता सिरमौर, हिमाचल प्रदेश में स्थित है। जिसमें लगभग 200 बेसहारे गोवंश को आश्रय दिया गया है।हिम गो संरक्षण समिति ने साफ किया है कि

WhatsApp Image 2025-08-08 at 2.49.37 PM

यद्यपि हिंदू धर्म में गोवंश को जीवन दायनी माना गया है परंतु लोगों में यह प्रवृत्ति विकसित हो रही है कि जैसे ही गाय दूध देना बंद कर देती है किसान पशुधन को सड़कों पर छोड़ देते हैं। कृषि में नई तकनीक विकसित हो रही है। गाय यदि बछड़े को जन्म देती है तो उससे तुरंत ही सड़कों पर छोड़ दिया जाता है। समय के साथ-साथ गांव की युवा पीढ़ी किसी भी प्रकार से कृषि से नहीं जुड़ पा रही है। जिसका यह परिणाम है कि पशुधन सड़कों पर बनने के लिए मजबूर है।

बेसहारा गोवंश समिति के मुताबिक  उच्च न्यायालय में 2016 में जनहित याचिका दायर की गई थी। जिसमें न्यायालय ने सरकार तथा संबंधित जिलाधीशो को यह आदेश पारित किया था कि इन बेजुबानों की समस्या का कोई समाधान हो सके। समिति के मुताबिक

यदि इन पशुओं की तत्कालीन समाधान नहीं निकालते हैं तो  उच्च न्यायालय मैं, हिम गो संरक्षण समिति के नाते जनहित याचिका दायर की जाएगी।

Deepika Sharma

Related Articles

Back to top button
Close