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असर पर बेबाक आवाज़….
विकास तो भाई वैसे ही कबका लापता है, और जनमानस का हित केवल रैलियों के भाषणों तक सिमट कर रह गया है । हां ops मुद्दे के प्रचार ने राजनीतिक पार्टियों की वोटों के लिए विवशता और एक सरकारी आदमी की दरिद्रता को अवश्य उजागर कर दिया है ।