पोस्ट….

असर पर बेबाक आवाज़
मैं एक स्वर्ण हूं, और पूर्णतया आरक्षण का समर्थन करता हुं।
सभी श्रेणियों को मिला कर लगभग 60 प्रतिशत आरक्षण, और इसकी लाभार्थी जनता का प्रतिशत 90 कुल जनसंख्या का, और शेष 10 प्रतिशत सामान्य वर्ग को चालीस प्रतिषत।
विषय योग्यता का तो देश में भर्तियों को लेकर कई तरह के घोटाले उजागर हुएं है और आए दिन होते हैं जिसमे पाया गया है के किस तरह रसूक और पैसे के दम पर धांधलियां होती हैं।
देश को बांटने की जगह यदि समाज में समानता को प्रथमिकता देने की दिशा में किए गए इन सुधारों का सम्मान करते हुए आरक्षण सरंचना में क्रीमी लेयर लाने के लिए प्रयास किए जाएं तो ज्यादा नैतिक होगा बजाय के बहकाने के।
सार्वजनिक पटल पर इस तरह की पोस्ट्स को प्रमाणिक मान कर और ऐसे ग्रुप्स के अनर्गल मुद्दों के दबाव में आकर नज़रिया विकसित करने वाले पाठकों से विनम्र निवेदन है के अध्य्यन करें विषय की पूरी जानकारी लें और फिर स्वयं विचार कर तथ्यों को तोल कर निर्णय लें।
देश हमारा है देशवासी हमारे भाई बहन हैं जातपात से उपर उठ कर व्यवहारिक रूप से समानता की ओर अग्रसर हों देश समृद्ध होगा आरक्षण स्वतः धीरे धीरे अपना अस्तित्व खो देगा।
व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार के विरूद्ध तथा प्रणालियों और प्रक्रियाओं के सुधार हेतु आंदोलन करें। सामाजिक निर्माण का हिस्सा बनें पक्षपातपूर्ण गुटों का नहीं।

बेबाक लेखक
इस कॉमेंट में लेखक की अनुमति से इसकी पोस्ट का स्क्रीनशॉट नाम सहित शेयर किया जा रहा है प्रामाणिकता हेतु ताकि यह न समझा जाय के ये किसी आरक्षण लाभार्थी वर्ग द्वारा लिखा गया है।

