दिवाली से पहले लिए गए मिठाइयों के सैंपल की जांच रिपोर्ट न जाने कब आएगी, फिर भी प्रशासन लगातार मिठाइयों के सैंपल की धरपकड़ करता है और उसके सैंपल को कंडाघाट लैब जांच के लिए भेजता है।सवाल यह खड़ा हो रहा है कि आखिर यह किसकी जिम्मेदारी है कि किस समय पर जांच सैंपल की रिपोर्ट आए और जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ ना हो। अब जनता भी यह कहने लगी है कि यह एक प्रकार का आई वॉश ही है कि मिठाइयों के सैंपल उठाए जाते हैं और रिपोर्ट लगभग 3 माह के बाद आती है।
हैरानी तो इस बात की है कि दिवाली से पहले या दिवाली के दौरान यदि आपने घटिया मिठाई खाई भी होगी तो उसका पता आपको लगभग 3 माह के बाद लगेगा। जानकारी के मुताबिक ऐसे तो प्रशासन दिवाली से कुछ दिन पहले छापेमारी करके मिठाइयों के सैंपल उठाता है जिसकी रिपोर्ट आने में लगभग दिवाली बीतने के बाद भी तीन माह लग जाते है। अब सवाल ये उठता है कि आखिर ऐसा प्रशासन क्यों करता है कि रिकॉर्ड के लिए यह सैंपल उठाए जाते हैं।
क्योंकि असली मकसद लोगों के स्वास्थ्य पर नजर रखने का रहता है ।
लेकिन ना हिमाचल में ऐसा कुछ होता नहीं दिखता है। एक रूटीन के तहत छापेमारी की जाती है लेकिन ये किस काम की।
बहुत सारे सैंपल लिए जाते हैं और उससे सैंपल्स को कंडाघाट लेट जांच के लिए भेजा जाता है ।
बताया जा रहा है कि कंडाघाट लैब में भी काम का काफी दबाव है जिसके कारण समय पर रिपोर्ट नहीं आ पाती है।लेकिन वर्षो से ये कमी लैब में है आखिर इसे दूर क्यों नहीं किया जाता?
जानकारी मिली है कि इस महा भी दर्जनों सैंपल्स मिठाइयों के उठाए गए हैं। अब देखना यह है कि इसमें कितनी फेल होते हैं यानी कि उस मिठाई को यदि व्यक्ति विशेष ने खाया होगा तो निसंदेह उसके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ा होगा ।
यदि रिपोर्ट समय पर आ जाए तो दिवाली से पहले इसे फेंकवा दिया जा सकता है।


