
रिटायर्ड मेजर जनरल एके शौरी की कलम से….
वर्तमान समय में जो हो रहा है वह यह है कि लोग बहुत अधिक जानकारी एकत्र कर रहे हैं और यह ज्ञान का पर्याय बन गया है। ज्ञान तक पहुँचने के लिए गहराई तक जाने की जरूरत है, लेकिन व्हाट्सअप तकनीक के वर्तमान युग में, जो भी जैसी भी सूचना आ जाए, उसे तुरंत आगे भेजने वाले को अत्यधिक, तेज व् बुद्धिमान माना जा रहा ह। नकली और अधूरी सोचना को ज्ञान के स्रोत के रूप में माना जा रहा है। ज्ञान प्राप्त करने के शॉर्टकट तरीकों से ज्ञान नहीं मिल सकता, उसके लिए अध्ययन, निरंतर अध्ययन, फिर उस पर विचार, विमर्श, आदि अनेकों सोपान हैं, जिन पर चल कर ही ज्ञान की प्राप्ति हो सकती ह। फिर, उसके बाद अगली प्रक्रिया प्राम्भ होती है, जो है, उस ज्ञान का सदुपयोग।


