EXCLUSIVE: हिमाचल में आई विद्यांजली
स्वयं सेवक पढ़ा सकते है स्कूलों में, कर सकते है शिक्षा जगत को कुछ दान, पर नही दे पाएंगे कैश
हिमाचल में भी विद्यांजलि आ गई है। विद्यांजलि यानी कि एक ऐसा कार्यक्रम जिसमें स्वयंसेवक अपने स्तर पर अपने राज्य के शिक्षा जगत को मजबूती प्रदान कर सकते हैं। यानी कि यदि कोई भी स्वयंसेवक अपने नजदीकी स्कूल के खाली पद की व्यवस्था से परेशान होकर वहां पर स्वयं पढ़ाना चाहता है तो वह पढ़ा सकता है जिसके लिए भारत सरकार ने एक पोर्टल तैयार किया है जिसमें संबंधित स्वयंसेवक और स्कूल की रजिस्ट्रेशन की जानी है। फिलहाल पोर्टल में की जाने वाली रजिस्ट्रेशन में संबंधित स्वयंसेवक के कैरेक्टर सर्टिफिकेट को भी चेक किया जाएगा जिसके बाद एक निशुल्क तौर पर यदि वह स्कूल में पढ़ाना चाहे तो पढ़ा सकेगा ।
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नहीं होगा केश दान
इसी तरह हिमाचल में विद्यांजलि नामक योजना का प्रचार प्रसार किया जाएगा। इसके साथ ही यदि कोई भी स्वयंसेवक कुछ मदद स्कूल को करना चाहता है तो वह की जाएगी लेकिन ये कैश के तौर पर नहीं होगी और स्कूल में इस्तेमाल होने वाली चीज को लेकर यह व्यवस्था की जाएगी जिसमें संबंधित स्वयंसेवक कुछ भी चीज संबंधित स्कूल को दे सकता है।
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क्या कहते हैं कार्यक्रम समन्वयक
कार्यक्रम समन्वयक अनमोंगों कटवाल का कहना है कि हिमाचल में भी संबंधित योजना के तहत पोर्टल में पंजीकरण की शुरुआत कर दी गई है उम्मीद है कि यह कार्यक्रम बेहतर तरीके से हिमाचल में चलेगा।
सरकार ने चलाई उच्च शिक्षा एवं संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए नवीनतम योजना
शिक्षा मंत्रालय और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र ने स्कूली शिक्षा में योगदान स्वयंसेवकों को छोड़ने के लिए विद्यांजलि 2.0 को डिजाइन और विकसित किया है। नया शुरू किया गया पोर्टल विद्यांजलि स्वयंसेवकों को अपने ज्ञान तथा कौशल को सांझा करने के साथ-साथ उपकरण के रूप में योगदान के लिए अपनी पसंद की सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल से सीधे जुड़ने में मदद करेगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अथक प्रयास
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारत में शिक्षा के सभी स्तरों पर एक परिवर्तनकारी परिवर्तन लाने का प्रयास करता है। समुदाय का प्रत्येक साक्षर सदस्य एक छात्र को पढ़ाने के लिए प्रतिबंध हो सकता है कि इसे कैसे पढ़ा जाए, यह देश की परिदृश्य को बहुत जल्दी बदल देगा। सफल साक्षरता कार्यक्रमों से न केवल व्यस्को में साक्षरता का विकास होता हैं, इसके परिणाम स्वरूप समुदाय के सभी बच्चों के लिए शिक्षा की बढ़ती मांग के साथ-साथ समुदाय सकारात्मक सामाजिक परिवर्तनों में योगदान देता है।



