EXCLUSIVE: मासिक धर्म के दौरान अछूत बनी “बेटी”……
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मासिक धर्म लड़कियों के लिए पहली बार एक अनोखी घटना रहती है। हालाँकि, यह हमेशा उन मिथकों से घिरा रहा है जो महिलाओं को सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन के कई पहलुओं से बाहर करते हैं। भारत में यह विषय आज तक वर्जित रहा है। कई समाजों में मौजूद मासिक धर्म के बारे में इस तरह की लड़कियों और महिलाओं की भावनात्मक स्थिति, मानसिकता और जीवन शैली और सबसे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य पर प्रभाव डालती हैं
भारत के कई हिस्सों में सांस्कृतिक रूप से मासिक धर्म है। अभी भी गंदा और अशुद्ध माना जाता है। हिमाचल प्रदेश में आज भी देखने को मिलते हैं हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की रहने वाली प्रोमिला ने असर टीम के साथ अपनी मासिक धर्म से सम्बन्धित आपबीती सुनाई। उन्होंने बताया कि आज भी किस तरह से मासिक धर्म अछूता माना जाता है। जिससे सभी महिलाओं एवं बेटियों को बहुत सी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि मासिक धर्म आने पर लड़कियों को भी 4 दिन तक बाहर रखा जाता है और महिलाओं को 5 दिन तक। उन्हें घर पर एक अलग कमरे में रखा जाता है। और यदि किसी के घर में एक अलग कमरा नहीं हो तो उन्हें पालतू जानवरों गाय इत्यादि के कमरे में ही एक कोने में रखा जाता है। और उन्हें 4 दिन तक बाहर खुले में ही नहाना पड़ता है। ना ही उन्हें 5 दिनों तक किसी भी चीज को हाथ लगाने दिया जाता है और ना ही उन्हें छुआ जाता है उन्हें हर चीज से दूर रखा जाता है।
बीमार भी हो तो भी उन्हे अलग और जमीन पर बिस्तर लगा कर सोने के आदेश होते हैं। स्कूल की बेटियों को काफी दिक्कत झेलनी पड़ती है। परीक्षा के दौरान तो उन्हे उनपर मानसिक तनाव रहता है और वह अकेली रहती है।
प्रोमिला ने बताया कि 12 से 14 वर्ष की बेटियों को भी इन सभी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि उनके गांव में लोग ऐसा सोचते हैं कि अगर मासिक धर्म में कोई बेटी या महिला किसी को छू ले तो वह बीमार हो जाएगा। और ऐसा करने से देवी देवता नाराज हो जाएंगे।
प्रोमिला ने लोगों से आग्रह किया है कि इस छुआछूत को बिल्कुल खत्म कर दिया जाए। बेटियों और महिलाओं मासिक धर्म के समय जितना हो सके उतना आराम दे और उनके साथ इस तरह का व्यवहार ना करें।
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