हिमाचल में समय पर दवा जांच रिपोर्ट नहीं मिल पा रही है। हिमाचल की कंडाघाट लैब ही नहीं बल्कि हिमाचल से बाहर भेजे जाने सैंपल की रिपोर्ट भी काफी लंबित हो रही है।
ऐसा ही एक मामला आईजीएमसी का भी सामने आया है जिसमें इंजेक्शन से इंफेक्शन होने के कुछ सैंपल पहले पुणे लैब को भेजा गया उसके बाद वहां से रिपोर्ट नहीं आई और सैंपल वापिस शिमला को भेज दिया गया था ,उसके बाद उस सैंपल को दोबारा चंडीगढ़ भेजा गया है लेकिन अभी तक वहां से भी रिपोर्ट नहीं आ पाई है।
इससे बड़ी हैरानी की बात क्या हो सकती है कि 100 दिन से ज्यादा समय हो जाता है लेकिन हिमाचल में दवा जांच रिपोर्ट भी समय पर नहीं मिल पाती है। बताया जा रहा है कि आईजीएमसी में उक्त इंजेक्शन से इंफेक्शन होने की शिकायत की गई थी लेकिन इस गंभीरता पर आगामी कदम भले ही दवा निरीक्षकों के तहत छापेमारी को लेकर उठाया गया लेकिन इससे बड़ी दयनीय दशा क्या हो सकती है कि अभी तक जांच रिपोर्ट नहीं आ पाई है।
बॉक्स
क्या कर रही सरकार
अब सवाल यह उठा रहा है कि आखिर सरकार यह क्या कर रही है कि समय पर जांच रिपोर्ट ही नहीं आ पा रही है कंधाघात लैब को अपग्रेड नहीं किया गया है वहां पर स्टाफ भी अधूरा है।
बॉक्स
फिर सैंपल पास फेल का क्या फायदा
स्वास्थ्य में काफी अहम किरदार दवा उठता है , जिसमें यदि दवा गुणवत्ता युक्त नहीं हुई तो मरीज स्वस्थ नहीं हो सकता है लेकिन उसकी जांच समय पर करना भी आवश्यक रहता है लेकिन हिमाचल में ऐसा नहीं है और जो भी सैंपल केमिस्ट और सरकारी सप्लाई से उठाए जाते हैं उसकी रिपोर्ट बहुत ही लंबे समय बाद आ रही है।
बॉक्स
15 दिन में आनी चाहिए रिपोर्ट
हिमाचल तो वह डेकोरम भी पूरा नहीं कर पा रहा है कि यह समय मैं रिपोर्ट आ जाए और उस पर कार्रवाई हो पाए। दवा इस्तेमाल हो कर मरीजों द्वारा निगल भी जाती है और 15 दिन नहीं बल्कि 100 से 200 दिन ऊपर हो जाता है और दवा की जांच रिपोर्ट नहीं आ पाती है।
बॉक्स
फिर दवा निरीक्षक का समय पर छापेमारी का क्या फायदा
हिमाचल में दवा निरीक्षकों को समय पर दवा गुणवत्ता की जांच के लिए छापेमारी के निर्देश दिए जाते हैं लेकिन उस छापेमारी का कोई भी औचित्य नहीं जब समय पर जांच रिपोर्ट ही ना आ पाए
बॉक्स
अधूरी व्यवस्था
कंडाघाट लैब के अलावा प्रदेश सरकार के तहत एक और लैब का निर्माण भी किया जा रहा है लेकिन आखिर वह कब सक्रिय हो पाएगी अब इस पर सवाल उठता नजर आ रहा है।



